Kanpur: गर्भावस्था में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होता अस्टियोपीनीया, हड्डियां होतीं कमजोर, बच्चे पर भी पड़ता असर, डॉक्टर बोले- ऐसे करें बचाव...

Kanpur: गर्भावस्था में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होता अस्टियोपीनीया, हड्डियां होतीं कमजोर, बच्चे पर भी पड़ता असर, डॉक्टर बोले- ऐसे करें बचाव...

कानपुर, अमृत विचार। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से न सिर्फ उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, बल्कि बच्चे पर भी असर पड़ता है। एस्ट्रोजन हार्मोंन की कमी से गर्भावस्था के दौरान या 45 वर्ष उम्र के बाद (जब पीरियड्स बंद हो जाते है) पुरानी हड्डी के पुन: अवशोषित होने के साथ नई हड्डी के निर्माण में दिक्कत आती है। यह समस्या अस्टियोपीनीया और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ने का संकेत होती है। 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रेनू गुप्ता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से अस्टियोपीनीया का खतरा रहता है। रजोनिवृत्ति के बाद भी एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी के कारण इसका जोखिम बढ़ जाता है। यह हार्मोन महिलाओं को अस्टियोपीनीया व ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त होने से बचाता है। जिन लोगों के परिवार में पहले किसी को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या रह चुकी है, उनमें आनुवांशिक रूप से इस रोग का जोखिम बढ़ जाता है। लंबाई और उम्र भी दिक्कत बढ़ा सकती है। 

60 प्रतिशत तक महिलाएं अस्टियोपीनीया ग्रस्त

अस्टियोपीनीया व ऑस्टियोपोरोसिस की जांच बोन मिनरल डेंसिटी यानी बीएमडी मशीन से की जाती है। हैलट अस्पताल में  100 महिलाओं की जांच में 60 प्रतिशत तक महिलाएं अस्टियोपीनीया ग्रस्त मिलती हैं, इनमें गर्भवती भी शामिल होती हैं। गर्भावस्था के दौरान इस समस्या से बच्चे का वजन कम हो सकता है। 

गर्भधारण में मदद, गर्भपात से सुरक्षा 

डॉ. रेनू गुप्ता के अनुसार एस्ट्रोजन का सबसे महत्वपूर्ण रोल महिला के शरीर से बनने वाला एस्ट्राडिओल है। शिशु के विकास के लिए यह सबसे जरूरी हार्मोन है। यह हार्मोन महिलाओं को कंसीव करने में मदद करने के साथ गर्भपात से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। यह हार्मोन भ्रूण को स्वस्थ शिशु बनने के लिए उसे पोषण देने में सहायक होता है। 

भ्रूण हो सकता कुपोषण का शिकार  

जब इस हार्मोन का लेवल कम होता है, तो प्रेगनेंसी पर असर पड़ता है। खासतौर पर गर्भ में पल रही बच्ची इससे अधिक प्रभावित होती है। लो एस्ट्रोजन लेवल की वजह से गर्भपात या गर्भ में पल रही बच्ची का किसी फर्टिलिटी समस्या के साथ पैदा होना या उसकी ओवरी में एग कम होने की दिक्कत भी हो सकती है। इसकी कमी से भ्रूण में कुपोषण हो सकता है।  

इस तरह करें बचाव 

-शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होने दें।
- धूप का सेवन अवश्य करें।
-जंक व फास्ट फूड के सेवन से बचें।
-कम से कम 30 मिनट व्यायाम व योग करें।
-वजन को नियंत्रित रखने की कोशिश करें।
- हरी सब्जियां व मौसमी फलों का सेवन करें।

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