Parliament Session 2024: बैंककारी विधियां संशोधन विधेयक 2024 लोकसभा में पारित
नई दिल्ली। लोकसभा ने बैंकिंग संबंधी पांच कानूनों -भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970, और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) कानून, 1980 में संशोधन करने वाले बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक 2024 को आज पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा रखे गये संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया और विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने वर्ष 2014 से पहले संप्रग सरकार के दो कार्यकालों में बैंकों की खस्ता हालत और इस समय सरकारी बैंकों के शानदार रिकॉर्ड को सदन के सामने रखा। उन्होंने जनधन खातों की आशातीत सफलता का भी उल्लेख किया। चर्चा के दौरान एक समय हिन्दी भाषा के उपयोग को लेकर सीतारमण की तमिलनाडु के सांसदों के साथ तीखी नोंकझोंक हुई। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सभी सांसदों को अधिक से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए। इससे पूर्व वित्त मंत्री ने 28 सदस्यों द्वारा चर्चा में भाग लेने पर आभार प्रकट करते हुए कहा कि भारत को बैंकिंग प्रणाली पर गर्व होना चाहिए। दुनिया के कई विकसित देशों में बैंकिंग प्रणाली ध्वस्त हो गयी। भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की पटुता के कारण हमारी स्थिति बहुत बेहतर है।
2023 तक हम अपनी बैंकों के स्थायित्व एवं सुरक्षा को लेकर बहुत सजगता से बढ़ रहे थे। आज हमें गर्व है कि हमारे बैंक कितना कल्याणकारी काम कर रहे हैं। बैंकों ने कभी पुनर्पूंजीकरण की मांग नहीं की है क्योंकि भारतीय बैंक बहुत ही पेशेवराना ढंग से काम रहे हैं। हमारे ग्रामीण बैंक भी शानदार काम कर रहे हैं। मोबाइल बैंक, इंटरनेट बैंक आदि सुविधाएं दे रहे हैं। भारत में बैंकों की शाखाएं वर्ष 2014 में 117990 थीं जो वर्ष 2024 में 165501 हो गयीं। ग्रामीण शाखाएं 55372 हैं। अर्द्ध शहरी शाखाएं 32504 से बढ़ कर 45314 हो गयीं हैं। शहरी शाखाएं 20 हजार से बढ़ कर 29276 हो गयीं हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम मुद्रा ऋण की लाभार्थी 68 प्रतिशत महिलाएं हैं। पीएम स्वनिधि योजना में 44 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। पीएम जनधन योजना में 53 करोड़ खाते हैं। उन्होंने कहा कि जनधन खातों में जीरो बैलेंस को लेकर शुुरुआती आलोचनाएं निर्मूल साबित हुई हैं। इनमें 2.37 लाख करोड़ रुपए जमा हैं। औसत जमाराशि वर्ष 2014 में 1065 रुपए से बढ़ कर 2024 में 4397 रुपए हो गयी है। इस तरह से बैंकों के राष्ट्रीय करण का उद्देश्य अब पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल को आठ वर्ष से बढ़ा कर दस वर्ष करने का औचित्य है क्योंकि सहकारी बैंकों में निदेशकों को पांच साल के बाद दोबारा चुनाव लड़ने का प्रावधान है। इस संशोधन के बाद उन्हें बीच में इस्तीफा नहीं देना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराध नियंत्रण केन्द्र गृह मंत्रालय के सहयोग से साइबर अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी प्रणाली बनायी गयी है। साइबर अपराध तेजी से बढ़ रही है। वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंकों में 65 करोड़ बेसिक बचत खाता धारक एवं 53 करोड़ जनधन खाताधारकों पर कोई भी न्यूनतम जमाराशि के मामले में कोई अर्थदंड का प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि राइट ऑफ का मतलब यह नहीं है कि ऋण की राशि छोड़ दिया जाए। बल्कि संपत्ति पुनर्गठन की प्रक्रिया के तहत मिलने वाला धन बैंकों को भी मिलता है। राइट ऑफ का मतलब ऋण माफी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के परस्पर विलय में एक भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला गया है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया भविष्य निधि आधारित पेंशन योजना ईपीएफ-95 का परिचालन श्रम मंत्रालय करता है और इसको लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि संप्रग के आखिरी कार्यकाल में बैंकिंग क्षेत्र की हालत खस्ता थी और उस समय अगर कंपनियों एवं उन्हें ऋण देने वाले बैंकों की बैलेंस शीट पर श्वेतपत्र लाया जाता तो भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति दुनिया का विश्वास टूट जाता है। प्रधानमंत्री ने उस समय इस तरह के श्वेत पत्र के लालच में ना पड़ कर देश के व्यापक हित को तरजीह दी। आज हमारे सरकारी बैंक लाभ में हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों का शुद्ध लाभ 85520 करोड रुपए से बढ़ कर 1.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है। सभी सरकारी बैंक मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में एमएसएमई इकाइयों को ऋण सुविधा बढ़ाने के लिए पांच नयी सुविधाएं लायीं गयीं हैं जिसमें क्रेडिट गारंटी कोष के समर्थन से बिना गारंटी के सावधि ऋण दिये जाने की योजना शामिल है। सदन ने नॉमिनी के बारे में विपक्ष के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित कर दी गयी।
विधेयक में नकद भंडार (कैश रिजर्व्स) के लिए पखवाड़े (फोर्टनाइट) की परिभाषा बदली गयी है, सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाया गया है, सहकारी बैंकों के मामले में समान निदेशकों पर प्रतिबंध के प्रावधान किये गये हैं, बैंक खातों के चार नॉमिनी रखने की अनुमति दी गयी है, ऑडिटरों के पारिश्रमिक बैंकों को तय करने का अधिकार दिया गया है और दावा रहित रकम के निपटान के नियम तय किये गये हैं।
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