केजीएमयू: दिव्यांग के हाथ भेंट पाकर भावुक हुये डॉ. बीके ओझा, कहा- नहीं मिली कभी ऐसी भेंट

केजीएमयू: दिव्यांग के हाथ भेंट पाकर भावुक हुये डॉ. बीके ओझा, कहा- नहीं मिली कभी ऐसी भेंट

लखनऊ, अमृत विचार। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के सीएमएस और न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी प्रो.बीके ओझा विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि इस तरह की भेंट पाकर जो प्रसन्नता आज मुझे हो रही है, ऐसी खुशी पहले कभी नहीं मिली। 

दरअसल, पूरा मामला केजीएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलीटेशन (पीएमआर) विभाग से जुड़ा हुआ है। विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष पीएमआर विभाग के एचओडी प्रो. अनिल गुप्ता खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन कराते हैं। इस साल भी खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर केजीएमयू के सीएमएस प्रो.बीके ओझा भी पहुंचे। प्रतियोगिता में विजेताओं को सम्मानित करने का दौर शुरू होता, उससे ठीक पहले शिवम (15) नाम के एक किशोर ने प्रो.बीके.ओझा को एक पौधा भेंट किया। भेंट मिलते ही प्रो.बीके. ओझा भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि आज मुझे जो प्रसन्नता मिल रही है, ऐसी प्रसन्नता पहले कभी नहीं मिली। उन्होंने शिवम से हुई मुलाकात के बाद कहा कि इससे पहले पीएमआर विभाग के बेहतरीन कार्यों की जानकारी उनको पत्रों के माध्यम से ही मिलती रही है, लेकिन यह पहली बार है जब इतने लोगों से मुलाकात हुई जो विभाग की तरफ से बनाये गये कृत्रिम अंगों का प्रयोग कर पूरी आत्मनिर्भरता के साथ अपने कार्य को कर रहे हैं।

पीएमआर विभाग (1)
शिवम और पीएमआर विभाग की प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक विशेषज्ञ शगुन सिंह

 

बताया जा रहा है कि शिवम का 10 साल की उम्र में ही एक हाथ और पैर एक हादसे में कट गये थे । केजीएमयू के पीएमआर विभाग की तरफ से शिवम को कृत्रिम हाथ और पैर लगाये गये हैं। खास बात यह है कि शिवम अपने कृत्रिम हाथों से वस्तु भी उठा सकता है, ऊपर दी गई तस्वीर में शिवम ने अपने कृत्रिम हाथों से कृत्रिम अंग निर्माता पीएमआर विभाग की प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक विशेषज्ञ शगुन सिंह के हाथों को पकड़ रखा है। इसके अलावा शिवम को देखकर कोई इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकता है कि उसको कृत्रिम पैर लगे हुये हैं।

फोलिक एसिड का प्रयोग गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी

इस अवसर पर प्रो.बीके ओझा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड का प्रयोग बहुत ही जरूरी होता है। यह बात शोध में भी साबित हो चुकी है। गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड का प्रयोग होने वाले बच्चे को जीवनभर की विकलांगता से बचा सकता है।

उन्होंने बताया कि रीढ़ के निचले हिस्से में कई बार नसों का गुच्छा बन जाता है, जो फोड़े का रूप ले लेता है। जिसकी वजह से कई बार बच्चा विकलांग हो जाता है। सर्जरी के बाद भी फायदा नहीं मिलता, लेकिन यदि गर्भवती महिलायें गर्भावस्था के समय फोलिक एसिड का प्रयोग करें तो होने वाला बच्चा पूरी तरह स्वस्थ रहेगा और उसे इस तरह की बीमारी नहीं होगा।

पीएमआर विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि विभाग में दिव्यांगों के लिए सस्ते व टिकाऊ कृत्रिम अंग तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग की कार्यशाला में नई मशीन स्थापित की गई है। यह मशीन कृत्रिम अंग तैयार करने में सहायक साबित हो रही है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि गरीब दिव्यांग मरीजों के लिए सरकारी फंड और निजी संस्था की मदद से निशुल्क कृत्रिम अंग उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

लिंब सेंटर दो

इस अवसर पर एमएस डॉ.सुरेश कुमार, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. संदीप गुप्त, डॉ. अरविंद सोनकर, केजीएमयू नर्सिंग एसोसिएशन के संरक्षक प्रदीप गंगवार, शगुन सिंह, बलराम श्रीवास्तव समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

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