Lucknow: जानकीपुरम ट्रॉमा सेंटर में CHC जैसी भी सुविधाएं नहीं
लखनऊ, अमृत विचार: जानकीपुरम ट्रॉमा सेंटर सिर्फ नाम का ही ट्रॉमा है। यहां सुविधाएं सीएचसी जैसी भी नहीं है। एक साल पहले शुरू हुए इस ट्रॉमा सेंटर में सिर्फ बुखार, खांसी और दूसरी सामान्य बीमारी के मरीजों को ही इलाज मिल रहा है। सड़क या किसी दूसरे हादसे में जख्मी होकर पहुंचने वाले मरीजों का मेडिकोलीगल और इलाज तक नहीं हो पा रहा है। ट्रॉमा में ईसीजी, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड तक की व्यवस्था नहीं है। उपमुख़्यमंत्री ब्रजेश पाठक और स्थानीय विधायक को पत्राचार करने के बावजूद सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा रहीं।
जानकीपुरम ट्रॉमा सेंटर का लोकार्पण पिछले साल 7 जुलाई को रक्षामंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने किया था। अभी ट्रॉमा में 20 बेड पर ही भर्ती हो रही है। ओपीडी में 400 मरीज आ रहे हैं। प्रभारी मिलाकर कुल 5 डॉक्टर, 1 फार्मासिस्ट, 3 नर्स है। ट्रॉमा में ओटी टेक्नीशियन, प्रशासनिक कार्य के लिए बाबू का पद ही नहीं है। जानकारों की माने तो किसी भी ट्रॉमा सेंटर में ईसीजी, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड, जैसी सुविधाएं होना बहुत जरूरी होता है। इस ट्रॉमा में यह तीनों मशीन नहीं है, न ही उनके संचालन के लिए कर्मचारी है। ट्रॉमा में जनरेटर भी नहीं है। दिन या रात में बिजली आपूर्ति बाधित होने से सारा काम ठप हो जाता है।
ट्रॉमा सेंटर में 24 घंटे संचालन के लिए 15 स्टाफ नर्स की जरूरत है। डॉक्टरों और फार्मासिस्टों की संख्या बढ़नी चाहिए। ओटी टेक्नीशियन और बाबू के पद स्वीकृत कर तुरंत भर्ती होनी चाहिए। फार्मासिस्ट न होने से मेडिकोलीगल का काम प्रभावित होता है। शौचालय, पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है।
जानकीपुरम विस्तार संयुक्त कल्याण महासमिति के महासचिव विनय कृष्ण पांडेय ने बताया कि यहां के ट्रॉमा सेंटर के सुचारू रूप से संचालन के लिए कई बार रक्षामंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री, क्षेत्रीय विधायक तक से पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ रही हैं।
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