NGT का MCD-DJB को आदेश, दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में नालों सफाई सुनिश्चित करें
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को राष्ट्रीय राजधानी के ग्रेटर कैलाश कॉलोनी के नाले की दुर्व्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें व्यवस्था में सुधार के करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने यह आदेश 'ग्रेटर कैलाश रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन-1 नॉर्थ ब्लॉक' द्वारा दायर एक हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई के बाद गुरुवार को पारित किया।
एनजीटी ने डीजेबी और एमसीडी को सफाई सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए कहा कि दिल्ली के ग्रेटर कैलाश क्षेत्र के संबंधित बरसाती नालों के ढक्कन पूरी तरह से खोल दें, ताकि न केवल सफाई और गाद निकालने में आसानी हो, बल्कि संदिग्ध जहरीली गैस या दुर्गंध को आसानी से बाहर निकलने में भी मदद मिले।
ग्रेटर कैलाश रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन-1 नॉर्थ ब्लॉक ने अपने एक आवेदन में कहा था कि यहां के निवासी पिछले 25 वर्षों से अवैध और अनधिकृत रूप से वर्षा जल या स्टॉर्म वॉटर ड्रेन में अनुपचारित सीवेज के प्रवाह से पीड़ित हैं।
आवेदन में आरोप लगाया गया था कि अधिकारियों ने मकान संख्या बी-159 से बी-187 तक के नाले पर ढक्कन नहीं लगाया है, जबकि नाले के बाकी हिस्से को ढक दिया गया है। खुला हिस्सा चिमनी की तरह काम करता है। जहां से बेहद अप्रिय और जहरीली गैसें निकलती हैं।
आवेदकों ने कहा था कि जहरीली और संदिग्ध गैस सीधे घरों के रसोई/शयनकक्षों में प्रवेश करती हैं, जिससे जीवन 24 घंटे सातों दिन नरक बन जाता है। उन्होंने 2004, 2006, 2008 और 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिकाएँ भी दायर कीं। दिल्ली उच्च न्यायालय में अवमानना और झूठी गवाही की कार्यवाही भी शुरू की गई।
एसोसिएशन ने एनजीटी के समक्ष इसने कहा कि पहले पूरा बरसाती नाला खुला हुआ था, जिसमें डीजेबी स्थानीय नालों से अनुपचारित सीवेज के प्रवाह की अनुमति दे रहा था। पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल द्वारा लिखे गए फैसले में प्रतिवादियों को निर्देश दिया गया कि उनके आदेशों का समयबद्ध तरीके से पालन किया जाना चाहिए।
एनजीटी ने कहा कि परिणामों और नतीजों की अगले एक महीने में जांच की जाएगी कि क्या यह पूरी समस्या का समाधान करता है या नहीं। यदि समस्या हल हो जाता है, तो किसी अन्य कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। आदेश में कहा कि यदि इन कदमों से समस्या का समाधान नहीं होता है, तो एमसीडी बरसाती नाले से पूरी लंबाई में चार कक्षीय आरसीसी कवर/दीवारों को हटा देगा, ताकि संबंधित नालों को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जा सके और यह कार्य अगले तीन महीनों में पूरा किया जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि डीजेबी और एमसीडी दोनों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त 5,22,79,000/- रुपये का उपयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीब) द्वारा दिल्ली में हुई पर्यावरणीय क्षति के उपचार और बहाली के लिए एक संयुक्त समिति द्वारा तैयार की जाने वाली बहाली योजना के लागू करने में किया जाएगा। एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया कि सीपीसीबी के सदस्य सचिव समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल प्राधिकरण होंगे।
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