Bareilly: चौबारी मेले में 'तूफान' की चालबाजी सबसे महंगी

Bareilly: चौबारी मेले में 'तूफान' की चालबाजी सबसे महंगी

कैंट, अमृत विचार: चौबारी मेले में लगातार दुकानें बढ़ती जा रही हैं। नखासे में मंगलवार को एक दर्जन घोड़ों की बिक्री हुई। मारवाड़ी-सिंधी मिश्रित चालबाज नस्ल के घोड़े 'तूफान' की सबसे ज्यादा नौ लाख रुपये की बोली लगी, मगर पशु मालिक ने 21 लाख रुपये मांगे। हालांकि, यह सौदा नहीं हो सका।

नखासा मेला लगातार भारी होता जा रहा है। दूर-दूर से मेले में अलग-अलग नस्लों के घोड़े पहुंच रहे हैं। मंगलवार को सबसे महंगा घोड़ा 65 रुपये में बिका। जबकि सबसे सस्ते घोड़े की कीमत 10 हजार रुपये रही।

नखासा मेला में बिकने पहुंचे तूफान नाम के घोड़े की कीमत 9 लाख रुपये लगी, लेकिन उसे इतने में नहीं बेचा गया। तूफान घोड़े के मालिक चौबारी निवासी राजवीर सिंह उर्फ राजू ने बताया कि वह 20 वर्षों से घोड़े पलते हैं। तूफान ने राजस्थान के जैसलमेर, बिहार, गुजरात के कच्छ, लखनऊ के मलिहाबाद, प्रतापगढ़ के भदरी में हुईं घुड़दौड़ में जीत हासिल की है। बीते दिनों थाना भमोरा के बल्लिया रामलीला में लगे नखासा मेले में तूफान ने 21 हजार रुपये का पुरस्कार जीता था। 15 नवंबर को आयोजित होने वाली घुड़दौड़ में मुरादाबाद के कुंदरकी निवासी जाकी भाई का घोड़ा, तूफान, फर्रुखाबाद, शिकोहाबाद, लखनऊ आदि स्थानों के उच्च नस्लीय घोड़े भाग लेंगे।

तूफान नाश्ते में खाता है देसी घी से बना चने का हलवा
घोड़ा मालिक राजवीर सिंह ने बताया कि तूफान की देखरेख शाहजहांपुर के कलान निवासी हरविंदर सिंह करते हैं। वह खाने-पीने का विशेष ध्यान रखते हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के लातूर निवासी पुष्पेंद्र ने घोड़े की कीमत 9 लाख लगाई है, लेकिन उन्होंने इसे नहीं बेचा। तूफान सुबह नाश्ते में देसी घी से बना चने का हलवा खाता है। फिलहाल, तूफान को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं।

घोड़ों को सजाने के सामान की लगीं दुकानें
मेले में घोड़ों को सजाने के सामान की दुकानें लग गई हैं। एटा, बहेड़ी, नवाबगंज, रिठौरा, पीलीभीत के परेवा आदि स्थानों के दुकानदारों ने दुकानें सजाई हैं। यहां घोड़ों को सजाने के लिए कांठी, मोहरा, सीनाबंद, रास, लगाम, चौरासी, घुंघरू, दुमची, कलकी, मखियानी, गजरा, फूल, नजरफल, रकाब, जीन, गद्दा, खुर्रा आदि सामान मिलता है।

सज गया मीना बाजार
मेले में मीना बाजार सज गया है। ग्राहक भी पहुंचने शुरू हो गए हैं। चाट, पकौड़ी, जलेबी आदि की दुकानें भी लग गई हैं। मेले में ढोलक, कंबल, फर्नीचर, लोहे के उपकरण जैसे हंसिया, खुरपी, दंराती, करछुली, चकला बेलन, सिलबट्टा, मिट्टी के बर्तन आदि बिक्री के लिए लाए गए हैं।

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