मुरादाबाद : क्रिकेटर चेतन चौहान की पूर्व विधायक पत्नी ने विद्यालय को दान जमीन 39 साल बाद वापस मांगी
नेशनल हाईवे पर स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मूंढापांडे के भवन के मुख्य द्वार के सामने स्थित है जमीन
स्वर्गीय चेतन चौहान की मां फूलमती ने विद्यालय बनाने के लिए जमीन की थी दान, शासन के आदेश पर डीएम ने मांगी रिपोर्ट
मुरादाबाद, अमृत विचार। अमरोहा जिले की नौगावां सादात की पूर्व विधायक एवं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर स्व.चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान ने राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मूंढापांडे को उनकी सास की ओर से 39 साल पहले दान की गई जमीन को वापस मांगा है। इस मामले में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जमीन खाली कराकर कब्जा वापस दिलाने का अनुरोध किया है। शासन से कार्रवाई के लिए यह पत्र जिला प्रशासन को मिलने के बाद जीआईसी मूंढापांडे में खलबली मच गई है।
उधर, डीएम ने प्रकरण की रिपोर्ट देने के लिए एसडीएम सदर और डीआईओएस को जिम्मेदारी सौंपी है। दूसरी तरफ राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य का दावा है कि विद्यालय को दान की गई जमीन वापस मांग रहीं संगीता चौहान की सास ने फूलमती देवी जमीन का कुछ हिस्सा 1985 में और शेष भाग 1987 में दान किया था। हां, धनाभाव में जमीन के शेष भाग की रजिस्ट्री नहीं हो सकी थी, लेकिन जमीन विद्यालय के ही कब्जे में है।
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मूंढापांडे के पास मौजूद अभिलेख बताते हैं कि बच्चों की शिक्षा के लिए मूंढापांडे क्षेत्र में कोई विद्यालय न होने पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर और पूर्व मंत्री स्वर्गीय चेतन चौहान की मां फूलमती देवी पत्नी मेजर डॉ. नव रतन सिंह चौहान ने गाटा संख्या 472 की 150 वर्ग मीटर जमीन 6 जून 1985 को राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम दान की थी। इसके बाद उस दौर में खर-फूस के छप्पर के नीचे कक्षाएं शुरू हो गई थीं।
उन्होंने 21 जनवरी 1987 को उसी गाटा संख्या के शेष भाग की 470 वर्ग मीटर जमीन भी विद्यालय के पक्ष में दान कर दी थी। फूलमती की ओर से दान की गई कुल 620 वर्ग मीटर जमीन का उस दौर में मूल्य एक लाख रुपये था। इस संबंध में फूलमती की तरफ से शिक्षा निदेशक को लिखा गया एक पत्र भी जीआईसी प्रधानाचार्य के पास मौजूद है। इसमें फूलमती की तरफ से कहा गया था कि पूर्व में 6 जून 1985 को दान की गई जमीन पर राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शुरू हो गया है। वह चाहती हैं कि इस विद्यालय का नाम फूलमती चौहान राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय होना चाहिए।
इसके बाद इस विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाचार्य वीके अग्रवाल ने 18 जनवरी 1988 को शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि 6 जून 1985 को दान में मिली 150 वर्ग मीटर जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी है, लेकिन, 21 जनवरी 1987 को फूलमती की तरफ से दान में मिली 470 वर्ग मीटर जमीन की रजिस्ट्री धनाभाव के कारण नहीं हो सकी है। इसकी रजिस्ट्री का मूल्य 10,000 रुपये है, लिहाजा पंजीकरण शुल्क मुक्ति का प्रमाणपत्र (रजिस्ट्री शुल्क माफ) उपलब्ध करा दिया जाए। शासन की लापरवाही के कारण शेष भूखंड (470 वर्ग मीटर) की रजिस्ट्री विद्यालय के नाम आज तक नहीं हो सकी है।
शुरुआत में बने थे चार कक्षा-कक्ष
तत्कालीन शिक्षा निदेशक माध्यमिक दलजीत सिंह पुरी ने जनवरी 1987 में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मूंढापांडे में चार कक्षा-कक्ष बनाने के लिए 19,730 रुपये प्रति कक्ष की दर से 78,920 रुपये उपलब्ध कराए थे। इस धन से बने कक्षा-कक्ष आज भी मौजूद हैं, इनमें कक्षा-कक्षों में जूनियर की अर्थात कक्षा 6, 7 व 8 की कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
पड़ोस में हाईवे होने से कीमती है जमीन
वर्तमान में संबधित जमीन मुरादाबाद-बरेली हाईवे पर स्थित है, लेकिन, जीआइसी भवन के पीछे मुख्य द्वार के सामने है। पड़ोस में हाईवे होने से जमीन वेशकीमती हो गई है। जीआईसी के प्रधानाचार्य बलवीर सिंह का कहना है कि राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का नाम फूलमती के नाम से नहीं हो पाया, हालांकि इसके लिए शिक्षा निदेशक को पत्र लिखने के बाद कई बार रिमाइंडर भी भेजे गए। उन्होंने कहा कि दान में मिली जमीन के सभी कागज उनके पास हैं। उन्होंने बताया कि जीआईसी परिसर में संबंधित जमीन गाटा 472ख की है, जो विद्यालय के मुख्यद्वार के ठीक सामने है और वह खाली पड़ी है, जहां से होकर छात्र-छात्राएं विद्यालय में प्रवेश करते हैं और वहीं शिक्षक तथा अन्य स्टाफ के वाहन खड़े होते हैं। जमीन पर दावाकर्ता की तरफ से जीआईसी के मुख्य द्वार को भी बंद कराने की मांग की गई है।
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