Kanpur: खंडहर हालत में खड़ा 367 करोड़ का ‘भूत महल’; खुद कुछ किया नहीं, मेडिकल कॉलेज को भी ट्रांसफर नहीं किया

Kanpur: खंडहर हालत में खड़ा 367 करोड़ का ‘भूत महल’; खुद कुछ किया नहीं, मेडिकल कॉलेज को भी ट्रांसफर नहीं किया

कानपुर, अमृत विचार। पांडु नगर में 300 बेड का निर्माणाधीन बीमा अस्पताल जो बीते चार साल से काम रुकने के बाद खंडहर हालत में सरकारी योजना में लापरवाही और भ्रष्टाचार का स्मारक बना खड़ा है, अगर समय रहते जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को स्थानांतरित हो जाता तो आज बड़ी संख्या में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल रही होती। इस भवन को बनाने में 367 करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं। लेकिन 14 साल में यही तय नहीं हो पाया है कि भवन का इस्तेमाल क्या किया जाना है। 
 
पहले तय हुआ था कि मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा, फिर डेंटल कॉलेज का प्रस्ताव हुआ। इसके बाद पैरामेडिकल कॉलेज बनाने की बात हुई। बाद में दावा किया गया कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शुरू किया जाएगा। लेकिन अंतिम निर्णय किसी पर भी नहीं हो पाया। इसी बीच भवन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को देने का प्रस्ताव भी हुआ पर वह भी परवान नहीं चढ़ पाया। 
 
अगर यह भवन बनाकर जीएसवीएम मेडिकल कालेज को सौंप दिया जाता तो अभी हैलट अस्पताल में जो विभाग एक कमरे में चल रहे है, उनका यहां विस्तार होता और आधुनिक तकनीक के उपकरणों से इलाज की मरीजों को सुविधा मिलती। लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को हस्तांतरण की प्रक्रिया नहीं की गई, और भवन खंडहर में तब्दील हो गया।  
 
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में प्रतिदिन करीब 6000 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। औसनत 300 मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जाते हैं। 10 हजार से अधिक मरीजों की प्रतिदिन जांच की जाती है, इनमें ऐसे बीमित लोग भी शामिल रहते हैं, जिनको बीमा अस्पताल में पूर्ण इलाज नहीं मिल पाता है। अगर यह भवन मिल जाता तो हॉस्पिटल चलाने के साथ ही फैकल्टी और रेजिडेंशियल ब्लॉक का इस्तेमाल सुनिश्चित हो जाता। बीमा लाभार्थियों को भी इलाज में आराम मिलता। 
 
लेकिन शासन में बैठे अधिकारियों और सत्तापक्ष के नेताओं ने कभी बीमा अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन इमारत के सदुपयोग पर ध्यान नहीं दिया। तीन साल पहले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अधिकारियों को पत्र लिखकर पांडु नगर बीमा अस्पताल की निर्माणाधीन बिल्डिंग को हैंडओवर करने का प्रस्ताव दिया था। 
 
इस पर तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला के साथ पूरे परिसर का निरीक्षण किया था। बिल्डिंग जीएसवीएम को मिल सके, इस संबंध में कई बार पत्राचार भी हुआ, लेकिन ईएसआई ने भवन जीएसवीएम को तो हैंडओवर किया ही नहीं, यह भी तय नहीं कर पाए कि यहां होना क्या है। 
 
कई स्पेशल विभागों के साथ बन सकता हॉस्टल 
 
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि वर्तमान में जीएसवीएम के पास जगह की काफी कमी है, इस कारण कुछ विभागों का संचालन एक कमरे में किया जा रहा है। 
 
अगर पांडु नगर बीमा अस्पताल में निर्माणाधीन बिल्डिंग हैंडओवर की जाती है और बजट जारी किया जाता है तो वहां पर कई स्पेशल विभागों के साथ चर्म रोग, डेंटल व ईएनटी आदि विभागों का संचालन किया जा सकता है। छात्रों के लिए हॉस्टल की भी सुविधा हो सकती है।  
 
सत्तापक्ष के सांसद और विधायकों को इस भवन के सदुपयोग पर काम करना चाहिए, ताकि बीमित लोगों को इलाज के लिए परेशानी न हो। अगर वह सांसद बनते तो इसे चालू कराने का पूरा प्रयास करते।- राजाराम पाल, पूर्व सांसद 
 
पांडु नगर बीमा अस्पताल में निर्माणाधीन बिल्डिंग के संबंध में जानकारी है, इसका निर्माण कार्य पूरा हो और अच्छा अस्पताल बन सके, इस संबंध में प्रयास किया जाएगा, ताकि श्रमिकों को पूरा इलाज एक ही जगह मिले।- रमेश अवस्थी, सांसद, कानपुर