प्रयागराज: समाज के आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाले आरोपी जमानत के हकदार नहीं- HC

प्रयागराज: समाज के आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाले आरोपी जमानत के हकदार नहीं- HC
कोर्ट

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी कंपनियां बनाकर धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने और सरकार को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोपी मां-बेटे की जोड़ी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों में जमानत देने से इनकार किया जा सकता है। विशेषकर ऐसे मामलों में, जो समाज के आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करते हों और जिसमें आरोपी प्रभावशाली या शक्तिशाली पद पर हो। 

इसके साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सीआरपीसी की धारा 437 का लाभ उन महिलाओं को नहीं दिया जा सकता जो स्वयं शक्तिशाली हैं या शक्तिशाली व्यक्तियों से जुड़ी हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने कनिका ढींगरा की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। वर्तमान मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने याची और उनके बेटे मयंक ढींगरा पर आईटीसी के जरिए सरकारी खजाने को राजस्व हानि पहुंचाने का आरोप लगाया है। 

आधार और पैन कार्ड का उपयोग कर फर्जी फर्मों का पंजीकरण कराने के आरोप में मां- बेटे पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन नोएडा सेक्टर 20, गौतम बुध नगर में मामला दर्ज किया गया। हालांकि हाईकोर्ट के समक्ष याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचियों के खिलाफ कोई विश्वसनीय साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। याचियों का फर्जी जीएसटी फर्मों के साथ जुड़े होने का कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। 

इसके अलावा याचियों के सहयोगी संजय ढींगरा (याची के पति) को पहले ही जमानत मिल चुकी है। केवल खाते में धन के लेनदेन के आधार पर याची को आपराधिक मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। दूसरी ओर याची के खिलाफ आरोप की पुष्टि करते हुए अपर महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि कुल 2600 फर्जी फर्म पंजीकृत किए गए और 2600 फर्मों द्वारा प्राप्त आईटीसी 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक थी। इस मामले में पूरा परिवार शामिल था। अतः एक भी व्यक्ति को जमानत देना अवैधता को बढ़ावा देने के समान होगा। 

अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि फर्जी फर्मों के पंजीकरण में सीधे तौर पर शामिल न होने के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि याची दोषी नहीं है। इस बात के स्पष्ट साक्ष्य मौजूद हैं कि याची ने धन के स्रोत को छिपाने का प्रयास किया या धन को इस तरह से स्थानांतरित करने में भाग लिया, जिससे पता चलता है कि उसने जानबूझकर गलत काम किया है। मालूम हो कि याची के बेटे मयंक के खाते में 71 बार और याची कनिका के खाते में 168 बार लगातार 300 करोड़ रुपए के लेनदेन हुए।

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