सदन में समान अवसर नहीं देने वालों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा, जानिए ऐसा क्यों बोले सिब्बल
नई दिल्ली। विपक्ष द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग किए जाने के बीच राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को कहा कि इतिहास उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने सदन की कार्यवाही में समान अवसर नहीं दिया।
कांग्रेस की अगुवाई में पहली बार विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने मंगलवार को राज्यसभा में धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक नोटिस पेश किया। नोटिस में धनखड़ पर संसद के उच्च सदन के सभापति के रूप में अपनी भूमिका में ‘‘अत्यंत पक्षपाती’’ होने का आरोप लगाया गया है।
सिब्बल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जगदीप धनखड़। राज्यसभा के 60 सदस्यों ने उन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया। अभूतपूर्व। लोकतंत्र की जननी के लिए दुखद दिन।’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘इतिहास उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने सदन के कामकाज में समान अवसर नहीं दिया।’’
अगर धनखड़ को हटाने की मांग वाला प्रस्ताव लाया जाता है, तो विपक्षी दलों को इसे पारित कराने के लिए बहुमत की आवश्यकता होगी, लेकिन 243 सदस्यीय सदन में उनके पास अपेक्षित संख्या नहीं है। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने जोर देकर कहा है कि यह ‘‘संसदीय लोकतंत्र के लिए लड़ने का एक मजबूत संदेश’’ है।
विपक्षी दलों ने कहा कि राज्यसभा के सभापति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और उनसे गैर-पक्षपाती आचरण की अपेक्षा की जाती है, लेकिन इसके बजाय उन्होंने ‘‘अपने वर्तमान पद की प्रतिष्ठा को घटाकर इसे सिर्फ वर्तमान सरकार के प्रवक्ता तक सीमित कर दिया है।’’
विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता जयराम रमेश और नसीर हुसैन ने मंगलवार को कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), आम आदमी पार्टी (आप), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), समाजवादी पार्टी (सपा) सहित 60 विपक्षी सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस राज्यसभा के महासचिव पी़. सी. मोदी को सौंपा।
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