अपने बच्चों को बचाइये: बढ़ता राष्ट्रीय संकट समुदायों पर डाल रहा गहरा प्रभाव, लाखों लोगों की जान खतरे में !

अपने बच्चों को बचाइये: बढ़ता राष्ट्रीय संकट समुदायों पर डाल रहा गहरा प्रभाव, लाखों लोगों की जान खतरे में !

लखनऊ, अमृत विचार। हर साल लगभग 120000 लोगों की जान जाना राष्ट्रीय संकट को दर्शाता है। इस आंकड़े के मुताबिक लगभग 400 लोग प्रतिदिन अपनी जान गंवाते हैं। इसमें युवाओं की सुख्या काफी अधिक है, यह चिंताजनक आंकड़े हैं। इतना ही नहीं यह आंकड़े परिवारों समुदायों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर गहरा असर डालते हैं।  यह जानकारी एसजीपीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग प्रमुख प्रो. डा. राजेश हर्षवर्धन ने दी है। उन्होंने बताया कि इससे बचने का एक ही तरीका है कि बच्चों को सड़क सुरक्षा के लिए हर तरह की जानकारी दी जाये।

एपेक्स ट्रामा सेंटर

इसके लिए प्रो.आर.हर्षवर्धन ने तरीका भी बताया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा का अध्याय जरूर होना चाहिए, साथ ही प्रयोगात्मक परीक्षा भी होनी चाहिए। शुरूआत से ही बच्चों को यातायात की जानकारी देना और उनकी सुरक्षा तय करना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

उन्होंने बताया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है, जहां हर साल यातायात नियमों का पालन न करने और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी के कारण हर साल हजारों लोगों की जान जाती है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष 1,20,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। 

एसजीपीजीआई दो

एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार को एपेक्स ट्रॉमा सेंटर   में एक व्यापक सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता फैलाना रहा है। उन्होंने बताया कि एपेक्स ट्रॉमा सेंटर,हर साल सड़क दुर्घटना पीड़ितों को इलाज देता है, ऐसे में इस कार्यक्रम के जरिये सड़क सुरक्षा प्रोटोकॉल के महत्व को जनता को बताना और उनके निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने की जिम्मेदारी को निभाया गया है। इस अवसर पर एटीसी लैब मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. अवले रुपाली भालचंद्र ने बताया कि लोग खुद सड़क सुरक्षा की जानकारी को अपने जीवन में उतारें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।  कार्यक्रम में प्रो. अवधेश कुमार जायसवाल, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी विभाग, डॉ. कमलेश सिंह भैसोरा, एसोसिएट प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी विभाग उपस्थित रहे।

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