बाराबंकी : किरदारों की दुनिया में कठिन है 'रावण' की तलाश, 'राम' आसान

रामलीला मंचन में लंकापति जैसी कदकाठी व बुलंद आवाज की होती है जरूरत

बाराबंकी :  किरदारों की दुनिया में कठिन है 'रावण' की तलाश, 'राम' आसान

बाराबंकी, अमृत विचार : महार्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण में भले ही नायक के रूप में भगवान श्री राम हो, लेकिन रावण का व्यक्तित्व भी कम नहीं दिखता है। भगवान शंकर के सबसे बड़े भक्त व विद्धान, महाबलशाली रावण का किरदार निभाने वाले कलाकारों की मांग हर साल दशहरा आते ही रामलीला मंचन के लिए शुरू हो जाती है। लेकिन अब रावण का किरदार बखूबी निभाने वाले कलाकारों की भी कमी है। लेकिन इस किरदार को निभाना आसान नहीं है। मंच में हजारों दर्शकों के बीच दंभ भरने वाली रावण जैसी आवाज, बोल और कदकाठी के रूप में दिखाना भी जरूरी होता है। जिले में कई ऐसे परिवार के चेहरे हैं जिन्होंने इस किरदार को बखूबी अंजाम दिया है।  

पुराने समय में दशहरे पर रामलीला की अलग ही उपयोगिता थी। मंचन देखने के लिए शाम होते ही बुजुर्ग, युुवा, बच्चे और महिलाएं टेंंट के नीेचे जगह घेर कर बैठ जाते थे। रात तक डटे रहते थे। समय बदला तो टेंट की जगह पंडाल बनने लगे लेकिन दर्शकों की संख्या कम हो गई। रामलीला मंचन में वैसे तो सभी पात्रों को मांग है, लेकिन सबसे ज्यादा रावण का किरदार निभाने वाले किरदारों की मांग होती है। हालांकि रावण का किरदार निभाने वाले अब कुछ लोग ही बचे हैं। फतेहपुर कस्बे के मोहल्ला पचघरा स्थित सुदामा साहब बाबा संगत के परिसर में होने वाली रामलीला के मंचन में स्थानीय कलाकार नि:स्वार्थ भाव से जुटते हैं। प्रभू श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, भरत व शत्रुघ्न के किरदार के लिए तो लोग मिल जाते हैं और एक माह पहले से प्रसंगों के आधार पर रिहर्सल शुरू कर देेते हैं लेकिन रावण की भूमिका के लिए तलाश एक चुनौती बनती है। 

रावण का किरदार निभा चुके कलाकार

पं.विमलेश चंद्र शास्त्री, नीलमणि मिश्र, प्रियंक, दिलीप सोनी, महादेव प्रसाद, शेखर शर्मा,राजमणि मिश्र,मत्येंद्र नाथ मिश्र, ओम प्रकाश। रामलीला का सबसे बड़ा आयोजन शहर के दशहराबाग मैदान में होता है। शहर में शोभा यात्रा निकलती है। दंगल का आयोजन भी होता है। राम-रावण युद्ध तो देखते बनता है। हाथी या फिर हाइड्रोलिक पर सवार होकर दोनों महान योद्धाओं की लड़ाई होती है। जिसे देखने के लिए हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ती हैं। इसके अलावा भगवान राम को गंगापार कराने का प्रसंग नागेश्वरनाथ मंदिर परिसर में कराई जाती है। राजतिलक का मंचन घंटाघर पर होता है।

बोले कलाकार

कलाकार पं.विमलेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि रावण की बुद्धि, निजी मति से ही शासन चलता था। रामकथा में रावण को विद्धान, शूर, साहसी योद्धा के रूप में दर्शाया गया है। हम मंच पर वैसा ही जीवंतभाव प्रस्तुत करने की कोशिश करते थे। वहीं, कलाकार नीलमणि मिश्र का कहना कि रामलीला के लिए रामचरित मानस के सातों कांड की तैयारी के साथ हनुमान जी, अंगद मंदोदरी, विभीषण, अशोक वाटिका में सीता से संवाद की जबरदस्ती तैयारी करनी होती है। हजारों दर्शकों के बीच भगवान राम के आर्शीवाद से ही रावण का किरदार निभाता हूं।