Kanpur: पनकी थर्मल पॉवर प्लांट में इस तकनीक का होगा इस्तेमाल...कम लागत में बनेगी ज्यादा बिजली, पर्यावरण भी रहेगा सुरक्षित
कानपुर, अमृत विचार। पनकी थर्मल पॉवर प्लांट में सुपर क्रिटिकल तकनीक का इस्तेमाल किए जाने के कारण कम कोयले से ज्यादा बिजली बनेगी और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। कोयले से विद्युत उत्पादन शुरू करने के लिए झारखंड से 3600 टन कोयला मंगाया गया है, जो 55 रैक की मालगाड़ी से अगले सप्ताह आ जाएगा। इसके बाद अक्टूबर के पहले हफ्ते में बिजली बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
660 मेगावाट क्षमता के पनकी पॉवर प्लांट का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। प्लांट में तेल जलाकर बिजली बनाने की प्रक्रिया का सफल परीक्षण किया जा चुका है। अब कोयले से बिजली बनाई जाएगी। इसके लिए 3600 टन कोयला झारखंड से अगले सप्ताह पहुंच आएगा। अक्टूबर के पहले सप्ताह से कोयले से बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।
प्लांट तक कोयला लाने के लिए 14 करोड़ रुपये से वाराणसी के डीएलडब्ल्यू से दो लोको इंजन खरीदे गए हैं। इनमे एक इंजन प्लांट में आ चुका है। पॉवर प्लांट के मुख्य महाप्रबंधक गणेश कुमार मिश्रा ने बताया कि पहले पुरानी तकनीक के सब क्रिटिकल पॉवर प्लांट बनते थे।
लेकिन पनकी प्लांट में सुपर क्रिटिकल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे बिजली के उत्पादन में ईंधन कम लगता है। ग्रीन हाउस गैसें और राख कम निकलती है। इसके बावजूद प्लांट में नाइट्रोजन आक्साइड और सल्फर डाई आक्साइड से हानिकारक तत्व खत्म करने के लिए एसीआर और एफजीडी सिस्टम लगा है।
एक यूनिट बिजली बनाने में लगेगा 500 ग्राम कोयला
पॉवर प्लांट अधिकारियों के मुताबिक प्लांट में प्रति यूनिट बिजली उत्पादन में 500 ग्राम कोयले की खपत होगी, जबकि अभी तापघरों में प्रति यूनिट बिजली उत्पादन में 900 ग्राम कोयला लगता है। प्लांट का कंट्रोल रूम के जरिए डिजिटल संचालन होगा।
22 किमी लंबी बिछाई रेल पटरी
मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि प्लांट से पनकी साइडिंग तक बीएचईएल ने 22 किलोमीटर लंबी रेल पटरी बिछाई है, ताकि कोयला पनकी साइडिंग से प्लांट तक लाया जा सके। कोयला उतारने वाली कनवेयर बेल्ट पहले ही तैयार है।