Case Study: यूपी में आत्महत्या की घटनाओं में यह शहर अव्वल...डॉक्टरों ने इन वजहों को सुसाइड के लिए बताया जिम्मेदार
कानपुर, अमृत विचार। प्रदेश में कानपुर आत्महत्या के मामले में पहले स्थान पर है। इसके बाद मेरठ, आगरा, प्रयागराज व लखनऊ का नंबर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आत्महत्या एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। वैसे भी एक आत्महत्या कई और लोगों को गहराई से प्रभावित करती है या अक्सर मुश्किल में धकेल देती है।
इसी कारण लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में आत्महत्या को लेकर की गई स्टडी के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा कानपुर में आत्महत्या की घटनाएं होती हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष प्रो.धनंजय चौधरी ने स्टडी के हवाले से बताया कि कानपुर में प्रति एक लाख आबादी पर आत्महत्या का आंकड़ा 16 है।
इसके मुकाबले आगरा, मेरठ, प्रयागराज व लखनऊ में आंकड़ा 10 से अधिक है। अध्ययन के मुताबिक आत्महत्या करने में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक है। 70 प्रतिशत पुरुष और 30 प्रतिशत महिलाएं सुसाइड करती हैं। महिलाएं हाथपैर की नस काटने या सिर दीवार से टकराकर सुसाइड का प्रयास अधिक करती हैं।
एनसीआरबी के डाटा के अनुसार आत्महत्या के ,मामले प्रतिवर्ष पांच फीसदी बढ़ रहे हैं। प्रो.धनंजय चौधरी के अनुसार पारिवारिक कलह, संबंधों में मतभेद, अत्यधिक तनाव तथा गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों के मन में कई बार आत्महत्या का ख्याल आता है। मानसिक स्थिति कमजोर पड़ने पर ऐसे लोग आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। नशे की प्रवृत्ति, अकेलापन और बेरोजगारी जैसे कारण भी आत्महत्या के मामले बढ़ा रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य मजबूत कर आत्महत्याएं रोकें
आत्महत्या की रोकथाम के लिए मानसिक स्वास्थ्य का मजबूत होना बहुत जरूरी है। आत्महत्या के पीछे दूरगामी, सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक परिणाम होते हैं। आत्महत्या की रोकथाम और लोगों को ऐसा न करने के लिए जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर सोमवार को परेड स्थित आईएमए सभागार में प्रेसवार्ता में कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ.अनुराग मेहरोत्रा ने बताया कि वर्ष 2024-2026 के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम आत्महत्या पर कथा बदलना, बातचीत शुरू करें और कार्रवाई का आह्वान रखी गई है।
रामा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर व स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष डॉ. मधुकर कटियार ने बताया कि 15-29 वर्ष के बच्चों में मौत का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है। उन्होंने आत्महत्या की पहचान, उपचार और रोकथाम पर कई लघु फिल्में दिखाईं। डॉ. बृजेंद्र शुक्ला, डॉ.रवि कुमार, डॉ. धनंजय चौधरी डॉ. सौरभ लूथरा, कार्यवाहक सचिव डॉ. क्षमा शुक्ला ने भी जानकारी दी।