वर्षों पुराने नालों का मिटा निशान, कैसे पहुंचे खेतों को पानी :सिंचाई के लिये तरस रहे किसानों के खेत, जिम्मेदार मौन

वर्षों पुराने नालों का मिटा निशान, कैसे पहुंचे खेतों को पानी :सिंचाई के लिये तरस रहे किसानों के खेत, जिम्मेदार मौन

काशीनाथ दीक्षित, अमृत विचार।  नहरों से जुड़े खेत के नाले कभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का मुख्य साधन होते थे। अब ऐसा नहीं है। अधिकांश नालियों को लोगों ने पाट रखा है। कहीं चकरोड बन गए हैं तो कहीं खेत। नहर में पानी आने के बावजूद खेतों में पानी नहीं पहुंच पाता है। जिससे द्रवित किसान सरकारी दावों से परे अपने खेतों को पंपों के सहारे सिंचित कर रहे हैं। जो की किसान के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 
दरियाबाद नहरों की नालियां कभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का मुख्य साधन थीं। लेकिन अधिकांश नालियों को लोगों ने पाट रखा है। कहीं चकरोड बन गए हैं तो कहीं खेत।

ऐसे में नहरों का पानी खेतों तक नहीं पहुंचता है।  कहीं-कहीं नालियों की लंबाई एक से दो किलोमीटर तक है। पहले नहरों की तरह ही नालियों की भी सफाई हुआ करती थी, अब ऐसा नहीं है। नहरों का पानी नदियों में बह जाता है। दरियाबाद ब्लॉक क्षेत्र में नहरों की कमी है और न ही उससे निकली नालियों की। मगर विभागीय उदासीनता से नहर से जुड़ी नालियों का अस्तित्व खतरे में है। किसानों के खेतों के सिंचाई का जरिया नहरों की नालियां ही हैं। लेकिन देख रेख के आभाव में जो मौजूदा समय में  बदहाल हो चुकी है। क्षेत्र में नहर से सटे किसान जैसे-तैसे खेतों की सिंचाई कर लेते हैं, लेकिन दूर वाले किसानों के समक्ष मुसीबत है। वे नहर के पानी का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में महंगा डीजल खरीदकर किसानों को खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है।

किसान बोले, आना चाहिए पानी 

किसान अरुण का कहना है कि पहले नहरों से जुड़ीं नालियां भी पानी से लबालब हुआ करते थे। जरूरत के हिसाब से खेतों की सिंचाई कर लेते थे। अब ऐसा नहीं है। नालियां टूट कर पट गयी है। किसान जगजीवन ने बताया कि नालियों के माध्यम से आखिरी छोर तक पानी पहुंच जाता था। इसका अस्तित्व खत्म होने से समस्या खड़ी हो गई है।  राम सहारे कहते हैं कि 1990 के बाद सिंचाई विभाग निष्क्रिय हो गया ।

दर्जनों अवैध कुलाबों से खेतों को पानी नहीं पहुंच रहा। लोगों ने नाले पर कब्जा कर पाट कर उनका अस्तित्व मिटा दिया है। विभाग के एसडीओ  दिनेश वर्मा ने बताया की नहरों में पानी के साथ खेतों में कुलाबे के  माध्यम से पानी पहुंचाना उनकी जिम्मेदारी है। नाले से खेतों में पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी भूमि संरक्षण अधिकारी की होती है।

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