बाराबंकी: राज्य पक्षी का कुनबा नहीं बचा पाया वन विभाग, घटी संख्या

जून माह में हुई गणना में मिले 257 सारस पक्षी, पिछले वर्ष थी 298 संख्या

बाराबंकी: राज्य पक्षी का कुनबा नहीं बचा पाया वन विभाग, घटी संख्या

बाराबंकी, अमृत विचार। संरक्षण की व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं होने से राजकीय पक्षी सारस का कुनबा कम होता जा रहा है। वन विभाग द्वारा की गई गणना के अनुसार जिले में 257 सारस मिले हैं। जबकि पिछले वर्ष कराई गई गणना में इनकी संख्या 298 निकली थी। राज्य पक्षी की संख्या कम होने के पीछे वन विभाग का तर्क हैं कि इस साल अधिक गर्मी पड़ने से यह बाहर नहीं निकले हैं। सारस पक्षियों की यह गणना तालाबों, नदियों, झीलों के साथ खेतों के आसपास कराई गई थी। इन आंकड़ों को विभागीय पोर्टल पर अपलोड किया गया है।

सारस को राजकीय पक्षी का दर्जा प्राप्त है। सारस को क्षेत्र की स्वस्थ परिस्थिति का संकेतक माना जाता है। सरकार द्वारा भी सारस को बचाने के लिए मुहिम चलाई गई थी, लेकिन सरकारी आदेशों पर अमल नहीं होने के कारण जिले से सारस पूरी तरह से विलुप्त तो नहीं हुआ है लेकिन इनकी संख्या जरुर घट गई है। डेढ़ माह पहले जून माह में वन विभाग द्वारा कराई गई गणना के अनुसार पिछले साल जहां जिले में 298 सारस मिले थे। 

वहीं इस बार हुई गणना में इनकी संख्या घट कर 257 रह गई है। इस प्रकार देखा जाए तो 49 सारस कम मिले हैं। वहीं वन विभाग द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि इस बार अधिक गर्मी पड़ने से सारस बाहर नहीं निकले हैं। ऐसे में जो दिखे उनकी गणना कराई गई है। शासन के निर्देश पर वन विभाग ने जिले के सात वन रेंजों में पड़ने वाले वनगवां, सराही, लंमुवा, मदहा, लिल्हौरा, नर्दही, परीवां आदि झीलों के साथ तालाबों, नदी और नहरों तथा खेतों के आसपास दिखाई पड़े राज्य पक्षी की गणना कराई है। इनमें नर व मादा के साथ बच्चे भी शामिल हैं। हर साल वन विभाग द्वारा राज्य पक्षी की गणना कराई जाती है। गणन

साथ में पाए जाते हैं नर और मादा
सारस पक्षी को वैज्ञानिक नाम ग्रस एंटिगोन है। यह सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है। देश भर में सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में ही है। यह पक्षी हमेशा से ही जोड़े में रहता है। यह पक्षी नदियों, तालाबों, झीलों व शांत जगहों पर पाया जाता है। जानकारों के अनुसार सारसों की संख्या कम होने के पीछे तालाबों पर कब्जे के साथ ही नदियों में खनन है। कब्जे व खनन होने के कारण सारसों का बसेरा खत्म होता जा रहा है। जिससे चलते सारस दूसरी जगहों पर चले गए हैं।

जिले में सारसों की गणना के लिए सातों रेंजों में रेंजरों की अगुवाई में सात टीमों का गठन किया गया था। इन रेंजों में कराई गई गणना में 257  सारस पक्षी मिले हैं। हालांकि यह संख्या पिछले वर्ष से कम है। इसकी वजह अधिक गर्म वातावरण होना है। फिर भी सारस को बचाने की योजना के तहत राज्य पक्षी की संख्या को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा-आकाशदीव वधावन, डीएफओ।

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