बाराबंकी: कुसुंभा में खागल देवता का मेला आज, सुरक्षा के रहेंगे कड़े इंतजाम 

बाराबंकी: कुसुंभा में खागल देवता का मेला आज, सुरक्षा के रहेंगे कड़े इंतजाम 

देवा/बाराबंकी, अमृत विचार। विकास खंड देवा के ग्राम कुसुम्भा स्थित विष हरण खागल देव नाग मंदिर में प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी आज नाग पंचमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा। मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर नाग देवता को दूध, चावल अर्पित कर सुख और समृद्धि की कामना करते हैं। मेला कमेटी के अनुसार सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है।

कस्बा देवा से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर ग्राम कुसुम्भा स्थित विष हरण खागल देव के मंदिर में लोगों की अपार आस्था है। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी के दिन यहां विशाल मेला लगता है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर नाग देवता को दूध और चावल अर्पित करते हैं। मान्यता है कि मंदिर के पास पड़ोस के साढ़े बारह गांव तक नाग देवता की दुहाई लगती है। 

परंपरा है कि इन गांवों के घरों की लड़कियां शादी के बाद अपने ससुराल से प्रत्येक नाग पंचमी को यहां आकर नाग देवता को दूध और चावल अर्पित करती हैं। यहां का दूध चावल घर में छिड़कने से सर्प दंश का खतरा खत्म हो जाता है। इस बार भी नाग पंचमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जायेगा। 

मेला कमेटी के अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद वर्मा ने बताया कि मेले की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। भोर से ही मंदिर के कपाट श्रृद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर देवा पुलिस द्वारा भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात की जाएगी। इंस्पेक्टर देवा अनिल कुमार पांडे ने बताया कि कुसुम्भा मेले में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। यातायात व्यवस्था के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई है और मेला परिसर में सादी वर्दी में महिला कर्मियों की भी तैनाती की गई है। जिससे मेले में सारी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सकेl

साढ़े बारह गांव में लगती है दुहाई
देवा इलाके के कुसुम्भा गांव स्थित विष हरण खागल देवता के बारे में किदवंती है कि वर्षों पहले इस गांव में सर्पदंश से काफी मौतें हो रही थी। जिससे लोग काफी भयभीत थे। एक दिन एक महात्मा गांव आए। लोगों ने उनसे जलपान करने का आग्रह किया, लेकिन महात्मा ने जलपान करने से मना कर दिया। लोगों के काफी प्रयास पर उन्होंने कहा कि मैं केवल कलोर गाय (जिस गाय ने कभी बच्चा न जना हो) का दूध पीता हूं। महात्मा की इस बात पर लोग आश्चर्यचकित हो गए और कहा कि कलोर गाय दूध कैसे दे सकती है।

 महात्मा के कहने पर लोग एक गाय की बछिया लेकर आए और पर्दा की आड़ में उसे बांध दिया और वह महात्मा उसी परदे के भीतर चले गए। इसी बीच व्यक्ति ने पास में लगे एक नीम के पेड़ पर चढ़कर देखा कि वह महात्मा सर्प का रूप धारण कर दूध पी रहे थे। यह देख उसने इशारे में लोगों बता दिया। जिससे नाग देवता नाराज हो गए और फूंक मार कर उस व्यक्ति को पत्थर का बना दिया।

इसके बाद महात्मा ने लोगों को बुलाकर कहा कि आज से आस पास के साढ़े बारह गांव में मेरी दुहाई लगेगी और सर्प दंश वाले व्यक्ति को यहां लाकर नहलाने और नीम की पत्ती खिलाने मात्र से ही विष का असर खत्म हो जाएगा। तभी से प्रत्येक नाग पंचमी को यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। वर्तमान समय में यहां पर मेला कमेटी गठित है। जिसमें अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद वर्मा, सचिव हुकुम सिंह, कोषाध्यक्ष दिनेश चंद्र, राम प्रकाश यादव और राम सुमिरन सदस्य के पद अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं l

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