प्रयागराज : 'कलयुगी भरत' जैसे भाइयों की मानसिकता पर जताई चिंता

प्रयागराज : 'कलयुगी भरत' जैसे भाइयों की मानसिकता पर जताई चिंता

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आपराधिक मामले की सुनवाई करते हुए भाइयों के बीच आपसी विवाद को एक विकृत रूप प्रदान करने के मामले में कहा कि जहां हम भगवान श्री राम के छोटे भाई 'भरत के बलिदान' को हमेशा याद करते हैं, वहीं वर्तमान मामले में अपने बड़े भाई के प्रति आपत्तिजनक आचरण करने वाले छोटे भाई को 'कलयुगी भरत' कहा जा सकता है।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि रिकॉर्ड पर रखे तथ्यों के आधार पर आईपीसी के तहत कोई मामला नहीं बनता है, साथ ही पूरी कार्यवाही भी दुर्भावना पूर्ण है। एक सामान्य विवाद को आपराधिक रंग देने की कोशिश की गई है। कोर्ट ने जिला न्यायालय, कानपुर नगर द्वारा पारित संज्ञान और समन आदेश रद्द करते हुए शिकायतकर्ता को निर्देश दिया कि वह चार सप्ताह के भीतर याची को मुकदमे की लागत के रूप में 25 हजार रुपए का भुगतान करें और इसका साक्ष्य रिकॉर्ड पर रखा जाए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने संजीव चड्ढा की याचिका स्वीकार करते हुए पारित किया।

कोर्ट ने ऐसी स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, जहां दो सगे भाई आपस में झगड़ रहे हैं। दरअसल शिकायतकर्ता एक अधिवक्ता है, जिसने अपने बड़े भाई यानी याची पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि आरोपी ने अपने व्यवसाय के लिए अलग-अलग तारीखों पर मांगे गए 2.20 लाख रुपए नहीं लौटाए और कथित वसीयत के आधार पर याची ने न केवल अपने पिता के साथ संयुक्त खाता खोला बल्कि उनकी मृत्यु के बाद शिकायतकर्ता की सहमति के बिना पैसे भी निकाले। अतः शिकायतकर्ता ने याची के खिलाफ पुलिस स्टेशन किदवई नगर, कानपुर नगर में आईपीसी की धारा 406 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई।

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