विभागीय जांच करने वाले अधिकारियों को ट्रेनिंग की जरूरत: हाईकोर्ट  

विभागीय जांच करने वाले अधिकारियों को ट्रेनिंग की जरूरत: हाईकोर्ट  

लखनऊ, अमृत विचार। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विभागीय जांच की कार्यवाहियों में घोर अनियमितता बरते जाने पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने कहा है कि विभागीय जांच करने वाले अधिकारियों को ट्रेनिंग की जरूरत है। न्यायालय ने अपने आदेश की प्रति अपरमुख्य सचिव, राजस्व को भेजने का आदेश देते हुए, कहा है कि वह स्वयं देखें कि किस प्रकारसे अनुशासनात्मक कार्यवाहियां की जा रही हैं। इसी के साथ न्यायालय ने बिना जांच रिपोर्ट प्रदान किए, चकबंदी कर्मचारी के खिलाफ आदेश पारित करने वाले बाराबंकी के बंदोबस्त अधिकारीचकबंदी (एसओसी), बाराबंकी व मामले के जांच अधिकारी के उचित कार्रवाई का आदेश दिया है।
   
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहानकी एकल पीठ ने उमा शंकर प्रसाद की सेवा संबंधी याचिका पर पारित किया। याची का कहनाथा कि उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करते हुए, अनुशासनात्मक प्राधिकारी (एसओसी, बाराबंकी)ने 7 मार्च 2024 को दंडादेश पारित किया जिसके तहत उसके दो वेतन वृद्धियों पर स्थायीतौर पर रोक लगा दी गई, साथ ही प्रतिकूल प्रविष्टि का भी आदेश दिया गया। याची की ओरसे दलील दी गई कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने बिना उसे जांच रिपोर्ट दिए, कारण बताओनोटिस जारी कर दिया, वहीं जांच अधिकारी ने भी बिना जांच के ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया।कहा गया कि जांच अधिकारी ने जांच के लिए समय, तिथि और स्थान तक नियत नहीं किया। 
    
न्यायालय ने मामले पर नाराजगी जतातेहुए कहा कि यह स्थापित कानून है कि विभागीय जांच में जांच अधिकारी समय, तिथि और स्थाननियत कर के मौखिक जांच करेगा, जबकि अनुशासनात्मक प्राधिकारी जांच रिपोर्ट की प्रतिकर्मचारी को प्रदान करते हुए, उसका स्पष्टीकरण तलब करेगा। न्यायालय ने हैरानी जतातेहुए कहा कि इस मामले में न तो समय, तिथि और स्थान नियत क्या गया और न ही जांच रिपोर्टकी प्रति याची को दी गई। न्यायालय ने कहा कि इस स्थापित प्रक्रिया की अनुशासनात्मकप्राधिकारी जो कि इस मामले में एसओसी है, उसे जानकारी ही नहीं है।

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