नैनीताल: चार्टन लॉज का भूस्खलन प्रशासन के लिए बना चुनौती, केवल मिट्टी के कट्टे भरकर भूस्खलन रोकने में लगा लोनिवि 

नैनीताल: चार्टन लॉज का भूस्खलन प्रशासन के लिए बना चुनौती, केवल मिट्टी के कट्टे भरकर भूस्खलन रोकने में लगा लोनिवि 

नैनीताल, अमृत विचार। मानसून सीजन शुरू होते ही नैनीताल की पहाड़ियों में भूस्खलन की घटना सामने आने लगी है। 
चार्टन लॉज की पहाड़ियों में भूस्खलन का सिलसिला जारी रहा। जिला प्रशासन ने ऐतिहात के तौर पर भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र की पहाड़ी के ऊपर स्थित घरों को खाली करवा कर वहां रह रहे 18 परिवार के लोगों को सुरक्षित स्थान पर भिजवा दिया है, ताकि बारिश के दौरान किसी अप्रिय घटना के दौरान बड़ी जनहानि से बचा जा सके।

लोक निर्माण विभाग क्षेत्र की पहाड़ियों में त्रिपाल डालकर बरसात के दौरान पानी से होने वाले भू-कटाव को रोकने का काम कर रहा है वहीं स्थानीय लोग विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 

हिल सेफ्टी कमेटी के नियमों का पालन नहीं हुआ तो नैनीताल का अस्तित्व खतरा में 
बीते लंबे समय से चार्टन लॉज की पहाड़ियों में हो रहे भूस्खलन से अब स्थानीय लोगों में दहशत है तो वहीं क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन ने 144 साल पुरानी यादें ताजा करवा दी हैं। ब्रिटिश काल में 18 सितंबर 1880 को को विनाशकारी भूस्खलन हुआ था, जिसकी चपेट में आने से 43 ब्रिटिश शासकों समेत 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, 144 साल के बाद एक बार फिर से क्षेत्र की पहाड़ियों में इस तरह की हलचल देखने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ भूगर्भीय वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। जो वैज्ञानिकों को 144 साल पहले हुई घटना को याद करवाते हुए नैनीताल वाशियो को एक बड़ी चेतावनी दे रहा है। 
नैनीताल के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं 18 सितंबर 1880 में नैनीताल के इतिहास का सबसे बड़ा भूस्खलन हुआ था। उस समय 40 घंटे में करीब 838 एमएम बारिश दर्ज हुई थी, जिसके बाद सात नंबर, स्नो व्यू क्षेत्र जिसे पुराना शेर का डांडा कहा जाता था उस पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन हुआ था। जिसकी चपेट में नैनीताल का ऐतिहासिक मां नैना देवी मंदिर समेत कई भवन आ गए।

भूस्खलन की चपेट में आने से नैना देवी मंदिर करीब 500 मीटर आगे खिसक गया। इस विनाशकारी भूकंप को देखने के बाद ब्रिटिश शासकों ने शहर के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए हल सेफ्टी कमेटी का गठन किया जिसमें ब्रिटिश शासको ने कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे। जिनका पालन करते हुए नैनीताल का अस्तित्व आज तक सुरक्षित है, लेकिन बीते कुछ समय के अंतराल में ब्रिटिश शासको द्वारा बनाए गए नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी जिसके चलते अब एक बार फिर से शहर में भूस्खलन के खतरे मंडरा आ रहे हैं।

हिल सेफ्टी की कमेटी के नियमों के आधार पर शहर में ब्रिटिश शासको ने 62 नालों का निर्माण किया, ताकि बरसात के दौरान पहाड़ियों से निकलने वाला पानी सीधे नैनी झील में जा सके और शहर के ऊपर स्थित पहाड़ियों की ड्रेनेज व्यवस्था बेहतर हो सके, लेकिन समय के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने इन नालों पर भी अतिक्रमण कर लिया जिसके चलते पहाड़ियों से अब पानी की निकासी नहीं हो पा रही है, जिसके चलते बारिश और घरों से निकलने वाले पानी की निकासी इन नालों में नहीं हो रही है जो पानी भूमिगत होते हुए पहाड़ियों को कमजोर कर रहा है।

प्रतिबंधित पहाड़ियों में बेतहाशा अवैध निर्माण किया 
इसके अलावा शहर के साथ नंबर, चार्टन लॉज, अपर माल रोड की पहाड़ियों में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाते हुए पशुओं के पालने पर भी प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उत्तराखंड निर्माण के बाद से इन प्रतिबंधित पहाड़ियों में बेतहाशा अवैध निर्माण हुआ है हिल सेफ्टी कमेटी के नियमों की अनदेखी करते हुए बनाए गए नियमों को पलीता लगाया है।

अधिकांश पहाड़ियां अति संवेदनशील
नैनीताल की अधिकांश पहाड़ियां अति संवेदनशील हैं। इन संवेदनशील क्षेत्रों की पहाड़ियों से भर काम करने की नितांत आवश्यकता है अगर समय रहते इन पहाड़ियों से बोझ हल्का नहीं किया गया तो आने वाले समय में बड़ी घटना देखने को मिल सकती है। लगातार हो रहे निर्माण से हल्के अर्थ वेग भूकंप में कोई बड़ी घटनाएं हों सकती है संबंधित पहाड़ों पर निर्माण कार्यों को रोकना होगा। प्रो. राजीव उपाध्याय, भू-वैज्ञानिक।

नैनीताल शहर अपनी भार ढोने की क्षमता पूर्ण कर चुका है 
प्रोफेसर अजय रावत ने बताया कि एक अध्यन के आधर पर नैनीताल शहर अपनी भार ढोने की क्षमता पूर्ण कर चुका है। जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में अजय रावत वर्सेस केंद्र सरकार जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए नैनीताल शहर में किसी भी प्रकार के व्यवसायिक और बड़े निर्माण के कार्य पर रोक लगा दी थी। ताकि शहर के अस्तित्व को बचाया जा सके लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद भी नियमों को तक पर रखते हुए शहर में अवैध निर्माण हो रहे हैं जिसके चलते इस तरह की घटना देखने को मिल रही है।