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Kanpur: वक्फ संपत्ति में हेराफेरी कर भू माफिया ने खड़ी कर दीं इमारतें, मुतवल्ली के खेल में फंसी अरबों की जायदाद
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कानपुर, अमृत विचार। वक्फ की बेशकीमती जायदाद में वन टू का फोर करके तमाम लोग करोड़पति बन गए। वक्फ की जायदाद को खुर्द-बुर्द होते देखकर ही मुसलमानों ने वक्फ करना छोड़ दिया है। प्रदेश का शायद ही कोई जिला होगा, जहां वक्फ संपत्ति में हेराफेरी नहीं की गई हो। वक्फ की कीमती जमीनों पर सारा खेल भूमाफिया और वक्फ बोर्ड की मिलीभगत से अंजाम दिया जाता है।
यूपी में शिया समाज की अधिकतर जायदादों को शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित बना दिया है। सैकड़ों की संख्या में मामले अदालत में विचाराधीन हैं। उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड में जब वसीम रिजवी (अब जितेंद्र त्यागी) चेयरमैन थे तो वक्फ जायदाद के कई मामले सामने आये थे जिस पर शिया मौलाना कल्बे जव्वाद और वसीम रिजवी के मध्य कई साल तक अदावत चलती रही और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चला। शिया वक्फ जायदाद में गड़बड़ी को लेकर सीबीआई जांच भी चल रही है।
मुसलमानों ने कम किया जायदाद वक्फ करना
पुण्य कमाने के लिए तमाम ऐसे करोड़पति मुसलमान हैं जो अपनी जायदाद वक्फ कर देते हैं ताकि उनके मरने के बाद उन्हें सवाब (पुण्य) मिलता रहे। वक्फकर्ता कभी किसी मस्जिद, मदरसा, यतीमखाना को अपनी जायदाद यह सोचकर वक्फ कर देता है कि इसका सवाब मरने के बाद उसे मिलता रहेगा।
कुछ लोग अपनी जायदाद वक्फ करके उसका मुतवल्ली परिवार के किसी सदस्य को बना देते हैं, इस वक्फ को अलल औलाद वक्फ कहा जाता है, इस वक्फ में परिवार दर परिवार मुतवल्ली बदलते रहते हैं, इसमें बाहर का कोई शख्स मुतवल्ली नहीं बन सकता है।
बिल्डर और मुतवल्ली कर लेते वक्फ प्रापर्टी का सौदा
वक्फ प्रापर्टी के मुतवल्ली से अधिकतर मामलों में बिल्डर समझौता कर लेते हैं। इसमें तय होता है कि जो बिल्डिंग बनेगी और उसमें जितने भी फ्लैट बनेंगे, उसमें आधे-आधे फ्लैट बिल्डर और मुतवल्ली ले लेंगे। वक्फ संपत्ति के बदले किसी वीरान जगह पर कम कीमत में निष्प्रयोज्य जमीन खरीदकर उसे वक्फ में अंकित करा दिया जाता है। पिछल कुछ समय में हेराफेरी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ जिलाधिकारी के माध्यम से जांच कराने के साथ ही एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। ताजा मामला बेबीस कंपाउंड का है।