प्रयागराज : डाक विभाग् में 6 करोड़ गबन का मामला, 40 लोगों ने की शिकायत 

10 वर्षो से चल रहा था विभाग में खेल

प्रयागराज : डाक विभाग् में 6 करोड़ गबन का मामला, 40 लोगों ने की शिकायत 

प्रयागराज, अमृत विचार।  डाक विभाग की बचत योजनाओं के नाम पर दारागंज डाकघर में एक एजेंट के द्वारा 6 करोड़ गबन करने का मामला संज्ञान में आया है। यह खेल पिछले 10 सालो से चल रहा था। 40 लोगों की शिकायत के बाद  डाक विभाग के निदेशक ने जांच के लिए टीम का गठन किया है। इसकी जांच सात सहायक डाक अधीक्षक करेंगे। 

जानकारी के मुताबिक, दारागंज के रहने वाले वीपी श्रीवास्तव डाकघर के एजेंट थे। वह दारागंज और आसपास के कई मोहल्लों के हजारों लोगों खाता डाकघर में खोल रखा था। इतना ही नही सभी को डाकघर की योजनाओं का लाभ दिलवाते थे। सभी उनके प्रति भगोसा भी रखते थे। विभाग के मुताबिक 2012-13 के बीच में उनका देहांत हो गया। जिसके बाद उनका बेटा निखिल श्रीवास्तव अपने पिता के काम को संभालते हुए उनकी एजेंसी चलाने लगा। पिता की तरह निखिल पर भी लोग भरोसा करने लगे, लेकिन इस सभी का भरोसा तोड़ दिया और वह किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र, मंथली इनकम स्कीम आदि योजनाओं के नाम पर लोगों से पैसे लेकर डाकघर में जमा नहीं किया। बल्कि लोगों को फर्जी पासबुक और अकाउंट नंबर जारी कर दिया।

वहीं 2018 में एक लोगों ने निखिल को एनएससी के लिए पैसा दे दिया।  निखिल ने किसान विकास पत्र बनवा दिया। जब इसकी शिकायत की गयी तो विभाग ने एजेंसी को बंद कर दिया। हलांकि डाक विभाग के अफसरों से उसने अच्छे ताल्लुकात बना रखे थे। इसलिए मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। इसके बाद उसने बहन नीति के नाम से एजेंसी शुरु कर दी और खुद काम करने लगा। उसके प्रति लोगों का भरोसा बना रहे, इसलिए वह नियमित ब्याज और रिटर्न लोगों को वापस भेजता रहा।

उनके भरोसे परिचित के शिव बाबू चौरसिया ने 59 लाख रुपये, बलराम यादव ने 16 लाख रुपये, कृष्णा महेंद्रू ने 7.5 लाख रुपये समेत करीब 40 लोगों ने लाखों रुपये दे दिये थे। इसके बाद निखिल बीमार हो गया और लोगों को रिटर्न करना बंद कर दिया। इसके बाद लोग डाकघर पहुंचे तो उसकी एजेंसी का कोई रिकार्ड वहा दर्ज नही था। अप्रैल महीने 2024 में निखिल की मौत् हो गयी। जिसके बाद लोग निखिल के बहन से पैसे मांगने लगे।  उनकी बहन लोगों को जवाब नहीं दे पा रही हैं। जिसके बाद शिकायत डाक निदेशक तक पहुंच गयी।

 वहा बताया गया कि (एमआईएस) योजना के तहत निखिल को दिया था। निखिल उनको हर महीने ब्याज देते थे। पिछले कुछ महीने से ब्याज देना बंद किया तो वह डाकघर गई। वहां बताया गया कि उनके नाम अकाउंट नही खुला है। इसके बाद इस पूरे मामले की सच्चाई खुलकर सामने आई। डाक निदेशक गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि डाक विभाग की योजनाओं के नाम पर लोगों से पैसे लेकर खुद रखता और फर्जी पासबुक बनाता था। ऐसे ग्राहकों का रिकॉर्ड डाकघर में नहीं है। उसके इस खेल में विभाग के जिन लोगों की मिलीभगत होगी।जांच के लिए सात अधिकारियों को लगाया गया है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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