बरेली: फिर तोड़ा जा रहा इमामबाड़ा, रोकने की जगह टहला रही पुलिस

पांच दिनों में सीओ तक नहीं पहुंची डीएम की ओर से भेजी गई चिट्ठी

बरेली: फिर तोड़ा जा रहा इमामबाड़ा, रोकने की जगह टहला रही पुलिस

लखनऊ/बरेली, अमृत विचार। मोहल्ला किला स्थित इमामबाड़ा एक बार फिर तोड़ा जा रहा है। इसका विरोध जताने पर पुलिस ने कुछ नहीं किया। इस बाबत डीएम की ओर से भेजी गई चिट्ठी पांच दिन में भी सीओ तक नहीं पहुंच पाई।

नौ महीने पहले भी इमामबाड़ा तोड़ने की कोशिश की गई थी, लेकिन तत्कालीन नगर आयुक्त ने इस बाबत ली गई अनुमति निरस्त कर रोक लगाई थी। तब शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से नदीम जैदी, ताहिर जैदी और हुमा जैदी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।

आरोप है कि इन लोगों ने नगर निगम को भ्रमित कर इमामबाड़े को जर्जर इमारत बताते हुए इसे गिराने की अनुमति प्राप्त कर ली थी। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी की शिकायत पर नगर आयुक्त ने 25 अगस्त 2023 को अनुमति निरस्त कर तोड़फोड़ रुकवाई थी।

नौ महीने बाद एक बार फिर से इमामबाड़े में तोड़फोड़ के विरोध में मुतवल्ली बॉबी ने थाना किला के इंस्पेक्टर से शिकायत की तो उन्होंने कार्रवाई करने के बजाय जिला प्रशासन के पास जाने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि रविवार है और सोमवार को बकरीद है। अब सीओ से मुलाकात मंगलवार को होगी। किला थाना प्रभारी हरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है। अगर कोई तहरीर मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि 11 जून को डीएम ने सीओ किला को चिट्ठी लिखी थी, जो अब तक सीओ तक नहीं पहुंच पाई है। फिलहाल इमामबाड़ा तोड़ने का काम तेजी से चल रहा है।

1938 में बना था इमामबाड़ा
वक्फ बोर्ड में 1115 नंबर पर बरेली के मोहल्ला किला में इमामबाड़ा दर्ज है। इमामबाड़े के मुतवल्ली बॉबी के मुताबिक नवाब मोहम्मद हुसैन ने 1938 में इस इमामबाड़े और लक्ष्मनियापुर बाग को वक्फ कराया था। इस इमामबाड़े में मजलिस और इसकी देखरेख के लिए 17 दुकानें छोड़ी थीं। नवाब मोहम्मद हुसैन के वंशजों ने इन दुकानों को वक्फ रिकाॅर्ड से बाहर करवा लिया था। इसके बाद पूर्व मुतवल्ली ने लक्ष्मनियापुर बाग को वर्ष 2011 में बेच दिया।

यह एक ऐतिहासिक इमामबाड़ा है। यहां से मोहर्रम की एक तारीख से 10 तारीख तक मजलिसें होती हैं। इस इमामबाड़े को तोड़े जाने को लेकर शिया समुदाय मे काफी गुस्सा है-मोमिन अब्बास नकवी, स्थानीय निवासी

यह काफी पुराना इमामबाड़ा है। यह शिया वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति है। इसे तोड़ना गलत है। इसे रोकना चाहिए और तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए -अली अब्बास रिजवी, स्थानीय निवासी

यह काफी पुरानी इमाम बारगाह है। यहां मोहर्रम आजादारी का सिलसिला जारी रहता है। इसे तोड़े जाने का निर्णय पूरी तरह गलत है। इसे लेकर हम लोगों में काफी गुस्सा है-युसूफ अली, स्थानीय निवासी

इमामबाड़ा को कुछ लोगों द्वारा तोड़ा जा रहा है। ये लोग अपने निजी फायदे के लिए ऐसा कर रहे हैं। इमामबाड़ा तोड़कर अजादारी खत्म करने की साजिश पर प्रशासन तुरंत संज्ञान लेकर कार्रवाई करे -शानू काजमी, समाजसेवी

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