Bareilly News: सरकारी रिकॉर्ड में अनाथालय पहले ही बंद... बात को समझिए जरा

Bareilly News: सरकारी रिकॉर्ड में अनाथालय पहले ही बंद... बात को समझिए जरा

बरेली, अमृत विचार। आर्य समाज अनाथालय के प्रधान ओमकार आर्य के मुताबिक अनाथालय यहां रह रही अंतिम तीन लड़कियों के निकलने के साथ 30 जून को बंद होगा लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल कल्याण समिति के रिकॉर्ड में अनाथालय पहले ही बंद हो चुका है। 

सरकारी रिकॉर्ड में अनाथालय कब, किन नियमों के तहत और किन कारणों से बंद हुआ, इसका महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के भी पास ठीक उसी तरह कोई जवाब नहीं है, जिस तरह अनाथालय प्रबंधन के पास इस बात का कि वह अनाथालय को खाली कराकर बगैर बजट के उसकी जगह गुरुकुल कैसे बनाएगा।

शहर के बीच करीब 360 करोड़ कीमत की 42 बीघा जमीन पर आर्य समाज अनाथालय को बंद करने, बिना भरण-पोषण का इंतजाम किए उसमें बचपन से रह रही लड़कियों को निकालने, बगैर किसी योजना के यहां गुरुकुल बनाने का दावा करने और सरकारी विभागों के रिकॉर्ड में उसे बंद दिखा दिए जाने तक सबकुछ काफी रहस्यमय ढंग से हो रहा है। इसी वजह से बार-बार यह भी सवाल उठ रहा है कि यह सब आखिर किस मंशा से हो रहा है और कहीं कोई पर्दे के पीछे से तो नहीं सबकुछ नियंत्रित कर रहा है। यह भी काफी आश्चर्य की बात है कि इस मामले में अब तक न तो प्रशासन और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने कोई दिलचस्पी दिखाई है।

बता दें कि अनाथालय को बंद करने की योजना की शुरुआत ओमकार आर्य के प्रबंध कमेटी का नया प्रधान बनने के साथ हुई थी। लेकिन अगस्त 2023 में ही ओमकार आर्य को अनाथालय में रह रही आठ साल की एक बच्ची से छेड़खानी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया जिसकी वजह से यह योजना कुछ समय के लिए थम गई। 

ओमकार आर्य पर पॉक्सो एक्ट लगा था, लेकिन फिर भी वह सिर्फ 20 दिन में न सिर्फ जमानत पर रिहा हो गया बल्कि दोबारा आर्य समाज अनाथालय के प्रधान पद पर काबिज हो गया। इसके बाद एक बार फिर अनाथालय को बंद करने की योजना ने रफ्तार पकड़ ली। फरवरी 2024 में बड़े पैमाने पर यहां रह रहे अनाथ बच्चों और बच्चियों को निकालकर बाहर कर दिया गया।

सिर्फ तीन 22 से 24 साल की लड़कियां अनाथालय में रह गई थीं जो उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इनसे भी प्रबंध कमेटी ने 30 जून तक अनाथालय छोड़कर जाने का एग्रीमेंट करा लिया है। दिलचस्प यह है कि इस एग्रीमेंट में इन्हें अनाथालय की संवासिनी के बजाय अस्थाई कर्मचारी दर्शाया गया है, जबकि ये तीनों लड़कियां 20 साल से भी ज्यादा समय से यहां रह रही हैं। ओमकार आर्य के प्रधान बनने से पहले अनाथालय प्रबंधन उनकी पढ़ाई-लिखाई का भी खर्च देता रहा है।

अनाथालय प्रबंधन ने एग्रीमेंट साइन कराकर फरवरी में भी 25 लड़कियों को निकाला था बाहर
प्रबंध कमेटी ने अनाथालय बंद करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम फरवरी 2024 में उठाया था, जब एक साथ करीब 25 लड़कियों को अनाथालय से बाहर निकाल दिया गया था। इनमें पांच-छह साल से लेकर 18-20 साल तक उम्र की लड़कियां थीं। 

अनाथालय ने दबाव बनाने के लिए उनसे भी एग्रीमेंट साइन कराए थे और निश्चित तिथि पर सबको अनाथालय छोड़कर जाने के लिए मजबूर कर दिया। ये लड़कियां कहां गईं, उन्हें कहीं आश्रय मिला या नहीं और उनकी जिंदगी कहां और कैसे गुजर रही है, यह पता लगाने में भी अनाथालय प्रबंधन ने कोई दिलचस्पी नहीं ली।

ध्येय वाक्य... असहाय की सहायता ही सच्ची मानवता है...मगर काम मानवता को शर्मसार करने वाले
अनाथालय प्रबंधन फिलहाल जो काम कर रहा है, वह सिर्फ उसकी नियमावली के खिलाफ ही नहीं है बल्कि आर्य समाज के उस ध्येय वाक्य ''असहाय की सहायता ही सच्ची मानवता है'' की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं जो उसके लेटरहैड से लेकर मुख्य भवन के शीर्ष तक पर लिखा हुआ है। 

अनाथालय में शरण लेकर रहने वाले बच्चों को एक-एक कर निकालने से पहले ही प्रबंधन ने उनकी जरूरतों से हाथ खींचना शुरू कर दिया था। अब जो तीन लड़कियां बची हैं, उनकी जरूरतें भी पूरी नहीं की जा रही हैं। इस बात से भी सरोकार नहीं दिखाया जा रहा है कि जवान लड़कियां अनाथालय से बाहर निकलने के बाद कैसे अपना भरण-पोषण और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी।

शहर में 140 साल पुराना आर्य समाज अनाथालय बंद हो चुका है, लेकिन कब और किन कारणों से बंद हुआ, इसकी हमें जानकारी है। - मोनिका राणा, डीपीओ महिला एवं बाल विकास विभाग

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