पीलीभीत: नाला निर्माण में आ रही दुविधाओं पर हुई बात...10 दिन और बढ़ी मियाद, शहरवासी धीमी गति हो रहे काम से परेशान 

पीलीभीत: नाला निर्माण में आ रही दुविधाओं पर हुई बात...10 दिन और बढ़ी मियाद, शहरवासी धीमी गति हो रहे काम से परेशान 

पीलीभीत, अमृत विचार: मानसून में शहर को जलभराव से बचाने के लिए नगर पालिका की ओर से कराए जा रहे नये नालों के निर्माण की धीमी गति पर मानसून को लेकर चिंता बढ़ी हुई है। 

ऐसे में जिम्मेदार एक बार फिर सख्त हुए हैं। ठेकेदारों संग बैठक कर निर्माण कार्य में आ रही दिक्कतों को जाना गया। साथ ही निर्माण कार्य के लिए दिए गए समय की मियाद दस दिन और बढ़ा दी गई है।  काम को गुणवत्तापूर्ण तरीके से समय से पूरा कराने पर जोर दिया गया है। हालांकि शहरवासियों का कहना है कि अगर नाला निर्माण कार्य अगर बारिश से पहले पूर्ण न हो पाए तो कम से कम खोदे गए गड्ढे हादसे का सबब न बने, इसके लिए पुख्ता इंतजाम जिम्मेदार करा दें। ताकि बारिश में जलभराव झेलने के बाद भी हादसों से बचाव हो सके।  

शहर की सड़कों पर जलभराव की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। बीते साल हुए नगर निकाय चुनाव में तत्कालीन चेयरमैन के सामने ये मुद्दा भारी पड़ा था। उन्हें बड़े अंतर से हार मिली थी। इस बार मौजूदा नगर पालिका चेयरमैन डॉ.आस्था अग्रवाल ने जलभराव की दिक्कत का अस्थायी समाधान कराने की ठानी है। बरसात से पहले नगरपालिका की ओर से  नये नालों का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।  

शहर की बात करें तो 38 नाले निकलते हैं। इनमें छह नाले बड़े है, जबकि 32 छोटे हैं। नगर पालिका की ओर से नौ करोड़ की लागत से 22 नये नालों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके मार्च में ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिए गए थे। ताकि समयबद्ध तरीके से गुणवत्तापरक काम हो सके। मगर ठेकेदारों की ओर से टेंडर लेने के बाद कई दिनों तक काम ही शुरू नहीं किया गया।  

ठेकेदारों ने मई में काम करना शुरू किया। छतरी चौराहा, मौर्य मार्केट, टनकपुर हाईवे, नई बस्ती, अयोध्यापुरम आदि नालों का काफी काम बाकी है। चेयरमैन ने कुछ दिन पहले धीमी गति पर नाराजगी जताते हुए दस जून तक काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। मगर अभी भी नालों का निर्माण कार्य सुस्त चाल है। जिसकी वजह से शहरवासियों को मौजूदा समय में तो दिक्कत हो ही रही है। 

वहीं, मानसून के दौरान भी अगर ये नाले ऐसे ही खुदे पड़े रहे तो जलभराव छोड़िए हादसे का खतरा और बढ़ जाएगा। काम की धीमी गति को लेकर जिम्मेदार भी संजीदा है। मगर निचले स्तर पर काम को रफ्तार नहीं मिल पा रही है।  इसे लेकर सवाल उठने पर एक बार फिर जिम्मेदारों ने ठेकेदारों संग बुधवार को बैठक की। जिसमें गंभीरता से ये भी जानने का प्रयास किया गया कि आखिर ये नाला निर्माण कार्य रफ्तार क्यों नहीं पकड़ पा रहा है। 

टनकपुर हाईवे पर बन रहे नये नालों को लेकर एक जगह बिजली की अंडरग्राउंड केबिल की वजह से दिक्कत बताई गई जबकि दूसरे स्थान पर अतिक्रमण बाधा बनता बताया गया है। फिलहाल चेयरमैन ने इन नालों के निर्माण कार्य को अतिरिक्त लेबर लगाकर बीस जून तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं। गुणवत्ता का भी ध्यान रखने को कहा गया है।  

पहले से नहीं दिया ध्यान, अब होना पड़ रहा परेशान
नये नालों का निर्माण कार्य हो या फिर पुराने नालों की तलीझाड़ सफाई।  कहीं न कहीं जिम्मेदारों की लापरवाही भी वजह रही।  चुनावी व्यस्तता या फिर अन्य वजहों को लेकर पहले से इसकी प्रगति पर फोकस नहीं किया गया। अब मानसून नजदीक है। जबकि धरातल पर काफी काम बाकी है। ऐसे में न सिर्फ शहरवासियों बल्कि जिम्मेदारों की भी चिंता बढ़ गई है।

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