कासगंज: जिले में अवैध मेडिकलों पर धड़ल्ले से बिक रही प्रतिबंधित दवाइयां, शिकायत के बाद भी जांच नहीं

कासगंज: जिले में अवैध मेडिकलों पर धड़ल्ले से बिक रही प्रतिबंधित दवाइयां, शिकायत के बाद भी जांच नहीं

कासगंज, अमृत विचार: कई मेडिकल स्टोर संचालक शासन द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। नियम विरूद्ध तरीके से मेडिकल स्टोर्स संचालित करने वाले संचालकों को जिम्मेदार विभाग का खुला संरक्षण मिला हुआ है। यही कारण है कि धड़ल्ले से अवैध तरीके से काम हो रहा और औषधि प्रशासन विभाग अपने कार्यालय तक ही सिमटा हुआ है। अफसर इस अवैध कारोबार को मौन स्वीकृति दिए हुए हैं, यही कारण है कि कार्रवाई के नाम पर अफसर मेडिकल स्टोर्स की ओर झांकते तक नहीं।

जिले भर में सैकड़ों अवैध मेडिकल संचालित हो रहे हैं, जहां बिना डॉक्टरों के पर्ची के दवाइयां बेची जा रही है। साथ ऐसी दवाई को भी दिया जा रहा है, जिस प्रतिबंध लगा हुआ है। कुछ ऐसी दवाइयां है, जिसका उपयोग असामाजिक तत्व के लोग नशे के लिए करते हैं, इन दवाइयों को डाक्टर के प्रिस्किप्शन पर ही लोगों को देना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। मेडिकल स्टोर्स वाले नकली और नशीली दवाइयां भी बेच रहे हैं, जिनसे नशा करने वाले युवा आसानी से नशीली दवाइयां खरीद लेते है और खुलेआम नशा करके नशे के आदी बनते जा रहे हैं। नशे में अपराधिक कृत्य को भी अंजाम दे रहे हैं। पुलिस की जांच में इसका कई बार खुलासा हो चुका है।

कम पढ़े लिखे लड़के कर रहे हैं काम
मिली जानकारी अनुसार मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा बी फार्मा डिग्री धारी व्यक्ति को मेडिकल स्टोर्स में रखने की बजाए 3 से 4 हजार रुपए में कम पढ़े लिखे युवकों को मेडिकल स्टोर्स पर रखे हुए हैं, जिन्हें दवाइयों की कोई जानकारी नहीं होती हैं।

तहसील मुख्यालयों में धंधा
जिला मुख्यालय से लेकर तहसील और जिलेभर के हर छोटे-बड़े कस्बों में मेडिकल स्टोरों की भरमार है। शहर में संचालित मेडिकल स्टोर नियमों का पालन न करते हुए डॉक्टरों के पर्चे के बिना लोगों को दवाइयां दे रहे हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में मेडिकल स्टोर संचालित करने वाले ज्यादातर लोगों के पास बी-फार्मा की डिग्री और रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। गिने-चुने मेडिकल स्टोर संचालकों के पास मेडिकल के रजिस्ट्रेशन और बी-फार्मा की डिग्री है।

शिकायत के बाद भी जांच नहीं
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में मेडिकल संचालित करने वाले कई दुकानदारों के पास मेडिकल स्टोर का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। कुछ ऐसे हैं, जिनके पास फार्मासिस्ट नहीं है। ऐसे लोगों को भी औषधि प्रशासन का छूट मिला हुआ है। शिकायत के बाद भी अधिकारी जांच नहीं कर रहे है। कार्यालय में बैठकर ही मामले में सेटेलमेंट का खेल चल रहा है।

समय-समय पर मेडिकल स्टोर्स की जांच की जाती है। डाक्टर की पर्ची के बगैर दवाई देने से सभी मेडिकल संचालकों को मना किया गया है। इसके बाद भी यदि दवाई बेची जा रही है, तो जांच कर कार्रवाई करेंगे- रमेश चंद्र ड्रंग इंस्पेक्टर

यह भी पढ़ें- कासगंज: शराब के नशे में बेटे ने पिता को मार डाला, विरोध किया तो बड़े भाई पर भी जानलेवा हमला