कभी दर्शन को व्याकुल रहे 'श्रीकृष्ण' अब खुद गढ़ने लगे भगवान
मूर्तिकार और चित्रकार श्रीकृष्णदास के हाथों में है जादू, कई जनपदों के मंदिरों में बना चुके हैं देवताओं की अनूठी मूर्तियां
सीतापुर,अमृत विचार। रोने वाले तुझे हंसते हुए फूलों की तरह, सारी दुनिया को हुनर अपना दिखाना होगा। यह लाइनें महोली इलाके की उस गुमनाम शख्सियत पर सटीक बैठती हैं जिन्हें कभी मंदिर में घुसने नहीं दिया जाता था, लेकिन आज उसकी गढ़ी हुई मूर्तियों को लोग मंदिरों में पूजते हैं। फ़कीर सी दिखने वाली इस शख्सियत को ईश्वर ने वो हुनर दिया है कि उसकी बनी मूर्तियों के आगे मग़रूर सिर खुद-ब-खुद झुक जाते हैं।
जिक्र हो रहा है चड़रा गांव के रहने वाले मूर्तिकार श्रीकृष्ण दास का। इनके पिता का नाम अंगने था। वो आरख बिरादरी के थे और महोली चीनी मिल में कर्मचारी थे। श्रीकृष्ण के अंदर मूर्तिकारी और चित्रकारी का जन्मजात हुनर था। इनकी अनूठी चित्रकला देख अध्यापक भी दांतो तले उंगली दबा लेते थे। गरीबी ऐसी थी कि अन्य बच्चों का एक चित्र बनाने के एवज में श्रीकृष्ण उनसे दस पन्नों की मांग करते थे। ताकि पन्ने सिलकर वह स्वयं के लिए कापियां बना सकें और साल भर तक पढ़ाई कर सकें। कस्बे के कृषक इण्टर कालेज में पढाई के दौरान श्रीकृष्ण दास कक्षा सात में फेल हो गए और धनाभाव के कारण आगे की पढ़ाई भी नहीं कर सके। लेकिन इनकी चित्रकला खुद-ब-खुद निखरती रही।
और फिर घर में बना डाला मंदिर
श्रीकृष्ण के घर में दशकों पुराना लक्ष्मी-गणेश का एक मंदिर बना हुआ है। जिसकी दर-ओ-दीवार पर बीते जमाने के कुछ अफसाने भी लिखे हुए हैं। श्रीकृष्ण दास के मुताबिक दशकों पहले इन्हें गांव सामंतवादी लोग मंदिर नहीं जाने देते थे। अपनी स्याह किस्मत से परेशान श्रीकृष्ण एक दिन घर में खूब रोये और घर में ही आंसुओं से सनी मिट्टी से हनुमान जी की मूर्ति बना डाली। उसके बाद लक्ष्मी-गणेश का मंदिर बनाकर पूजा करने लगे। वक्त गुजरता गया और बिना किसी प्रशिक्षण के उनकी मूर्तिकारी और चित्रकारी खूबसूरती और जीवंतता की हदों से आगे बढ़ने लगी। आज इनके पास मंदिर की मूर्तियां बनवाने वालों की लाइन लगी रहती है। हरदोई के मशहूर मूर्तिकार घनश्याम इनके शिष्य हैं।
गैर जनपदों में मशहूर हैं श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण दास ने जनपद सीतापुर में ही नहीं बल्कि सूबे के तमाम जनपदों के तमाम मंदिरों में देवी-देवताओं की सैकड़ों जीवंत मूर्तियां बनाई हैं। खीरी जनपद में शीतला माता मन्दिर, निघासन के गुलरीपुरवा में बीस फिट ऊंचा श्रीकृष्ण-अर्जुन गीता संवाद रथ, सिधौली में कामाख्या माता मंदिर, महोली में हनुमान मंदिर, राम राजेश्र्वर मंदिर, सरस्वती विद्या मंदिर और प्रज्ञानम् सत्संग आश्रम की मूर्तियां इनके हुनर और अनूठी प्रतिभा की परिचायक हैं।
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