बरेली: क्या कहते हैं  2017 और 2022 के चुनावी आंकड़े?, जानिए पार्टियों को लेकर वोटर्स का कैसा रहा मिजाज

बरेली: क्या कहते हैं  2017 और 2022 के चुनावी आंकड़े?, जानिए पार्टियों को लेकर वोटर्स का कैसा रहा मिजाज

बरेली, अमृत विचार: आंवला संसदीय क्षेत्र में हुए विधानसभा चुनाव 2017 और 2022 के आंकड़े भाजपा और सपा के बीच उतार-चढ़ाव के साथ वोटरों के मिजाज के तमाम रहस्य अपने अंदर समेटे हुए हैं। 2017 का चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था लेकिन फिर भी भाजपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा लेकिन 2022 में इसमें उल्लेखनीय गिरावट के साथ पार्टी ने शेखूपुर की सीट भी गंवा दी। 2017 में उसने पांचों सीटों पर डेढ़ लाख से ज्यादा वोट पाए थे, लेकिन 2022 में उसकी यह बढ़त सिर्फ 40 हजार वोटों की रह गई।

आंवला संसदीय क्षेत्र में बरेली जनपद की आंवला, फरीदपुर (सुरक्षित) और बिथरी चैनपुर समेत तीन सीटें हैं और बदायूं की शेखूपुर और दातागंज समेत दो। 2017 के विधानसभा चुनाव में आपसी गठबंधन के तहत दातागंज में कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारा था, बाकी चारों सीटों पर सपा के उम्मीदवार थे।

गठबंधन के बावजूद इस चुनाव में उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा और पांचों सीटों में न सपा कोई सीट जीती न कांग्रेस। कांग्रेस को दातागंज की सीट पर पूरे संसदीय क्षेत्र के कुल वोटों का सिर्फ तीन प्रतिशत मिला। आंवला, शेखूपुर, फरीदपुर और बिथरी समेत चार सीटों पर सपा 24.9 प्रतिशत वोट पा सकी। भाजपा का कुल वोट प्रतिशत 39 था। सपा से करीब 14 प्रतिशत ज्यादा वोट पाकर उसने पांचों सीटों पर जीत हासिल की थी।

यह चुनाव बसपा ने अकेले लड़ा था लेकिन फिर भी पांचों सीटों पर उसका वोट प्रतिशत 24.6 रहा जो सपा की तुलना में सिर्फ 0.3 और सपा-कांग्रेस गठबंधन के मुकाबले सिर्फ 3.3 प्रतिशत ही कम था लेकिन फिर भी उसे एक भी सीट नहीं मिली। पांचों सीटों पर वह तीसरे नंबर पर रही। आंवला में भाजपा के प्रत्याशी धर्मपाल सिंह सबसे कम करीब साढ़े तीन हजार वोटों के ही अंतर से जीते लेकिन फिर भी उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

विधानसभा चुनाव 2022 में वोटों के खेल की कहानी काफी-कुछ पलट गई। 2017 की तुलना में पांचों सीटों पर भाजपा की कुल बढ़त 1,50,274 से घटकर 40,562 पर आ गिरी। यह गिरावट 70 फीसदी से भी ज्यादा की थी। भाजपा का कुल वोट 5.7 प्रतिशत बढ़कर 44.7 पर जरूर पहुंचा, लेकिन अकेले चुनाव लड़ने के बावजूद सपा के वोट में 16 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई और वह 24.9 से 41.1 पर पहुंच गया। हालांकि इसके बावजूद भाजपा ने बिथरी, फरीदपुर, दातागंज और आंवला समेत चार सीटें जीत लीं। समाजवादी पार्टी

परंपरागत वोट उड़ा तो रसातल में पहुंच गई बसपा, कांग्रेस का नाम ही रह गया
2017 के चुनाव में भाजपा को पांचों सीटों पर चार लाख 16 हजार 30 वोट मिले थे, चार सीटों पर सपा को दो लाख 65 हजार 756 और एक सीट पर कांग्रेस को 32,243। पांच सीटों पर बसपा का कुल वोट दो लाख 62 हजार 836 था। 2022 के चुनाव में भाजपा को 87 हजार वोट मिलने के बावजूद उसकी बढ़त घट गई।

सपा इस चुनाव में 1.98 वोट ज्यादा पाकर दो लाख 65 हजार 756 से चार लाख 62 हजार 903 वोटों पर पहुंच गई। बसपा इस चुनाव में बुरी तरह बिखर गई। उसका वोट प्रतिशत 24.6 से घटकर 9.9 पर रह गया। 2017 के चुनाव में उसे 2.65 वोट मिले थे लेकिन 2022 में एक लाख 11 हजार 481 ही रह गए। कांग्रेस को पांचों सीटों पर एक प्रतिशत से भी कम वोट मिल पाया।

लोकसभा चुनाव में बढ़ी भाजपा और विधानसभा चुनाव में घटी
आंवला में भी पिछले कई चुनावों का एक और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव की अपेक्षा विधानसभा चुनाव में कम वोट मिले। 2009 के लोकसभा चुनाव में उसे 30.7 प्रतिशत वोट मिले तो 2012 के विधानसभा चुनाव में उसका वोट प्रतिशत 13.3 ही रह गया। इसके बाद 2014 के चुनाव में उसने प्रचंड बढ़त ली और 41.2 प्रतिशत पर पहुंच गई लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर पांचों सीटों पर उसका वोट प्रतिशत फिर घटकर 39 पर आ गया। 

2019 के लोकसभा चुनाव में उसके वोटों में फिर 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उसने 51.5 प्रतिशत पर पहुंचकर दूसरी किसी पार्टी की जीत की संभावना खत्म कर दी, लेकिन 2022 के चुनाव में उसका वोट फिर करीब सात प्रतिशत घट गया। काफी दिलचस्प यह है कि सपा के वोटों में इतना उतार-चढ़ाव नहीं हुआ।

लोकसभा चुनाव 2019 में उसे 29.6 और विधानसभा चुनाव 2012 में 29.5 प्रतिशत वोट मिले। लोकसभा चुनाव 2014 में भी उसका वोट प्रतिशत ज्यादा नहीं गिरा और 27.3 प्रतिशत रहा और 2017 के विधानसभा चुनाव में थोड़ा और गिरकर 24.9 पर आ गया। लोकसभा चुनाव 2019 में यहां गठबंधन के तहत बसपा लड़ी। विधानसभा चुनाव 2022 में सपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 41.1 पर पहुंच गया।

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