Kanpur: सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में चल रहा निर्माण कार्य अटका; मंत्रियों तक भी पहुंचा मामला, स्थिति जस की तस

Kanpur: सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में चल रहा निर्माण कार्य अटका; मंत्रियों तक भी पहुंचा मामला, स्थिति जस की तस

कानपुर, अमृत विचार। पांडु नगर बीमा अस्पताल परिसर में निमार्णाधीन सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के संकट के पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय तक भी पहुंचे थे, लेकिन कुछ न हुआ। केंद्रीय मंत्री तक भी मामला जा चुका है पर सब शांत बैठे हैं। ऐसा तब है जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मंडविया और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर होने का दावा कर रहे हैं। 

प्रदेश में बीमा अस्पतालों का संचालन राज्य सरकार कर्मचारी राज्य बीमा निगम के माध्यम से करती है, जिसके संचालन का पैसा केंद्र सरकार देती है। इस दोहरी व्यवस्था के कारण शहर के अधिकांश बीमा अस्पताल बदहाली का दंश झेल रहे हैं। वर्ष 2009 से पांडु नगर स्थित बीमा अस्पताल परिसर में 367 करोड़ से बन रही छह मंजिला इमारत का निर्माण कार्य भी अटका हुआ है। 

ऐसा तब है जब केंद्र में वर्ष 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री दत्तात्रेय ने छह अक्टूबर 2016 में पांडु नगर में सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल की आधारशिला रखी थी। आधारशिला रखने के बाद यहां पर कुछ दिनों तक तो काम चला, लेकिन उसके बाद पैसों की कमी बताते हुए निर्माण एजेंसी ने काम बंद कर दिया। काम बंद होने के बाद कुछ दिनों बाद ईएसआईसी के मेडिकल उपायुक्त निरीक्षण करने भी आए थे। 

उपायुक्त ने रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय मंत्री को दी। वर्ष 2017 में केंद्रीय मंत्री ने यहां सुपर स्पेशिएलिटी मॉडल हॉस्पिटल बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था। साथ ही यह प्रस्ताव भी दिया था कि पांडु नगर अस्पताल को राज्य सरकार से हैंडओवर कराया जाए। इसके बदले में राज्य सरकार चाहे तो जाजमऊ बीमा अस्पताल ले सकती है। 

लेकिन यह स्थानांतरण का मामला भी आज तक अटका हुआ है। हर बार अधिकारी व जनप्रतिनिधि निरीक्षण करने आते हैं और सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं। नतीजतन बीमित और श्रमिकों को इलाज कराने हैलट, उर्सला, डफरिन, कांशीराम संयुक्त या लखनऊ आदि अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। आज भी यह बिल्डिंग अधूरी खड़ी है।

बिल्डिंग बनाने के लिए खोदी नींव बनी तालाब

सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल का स्ट्रक्चर बनने के साथ ही उसके बगल में दूसरी बिल्डिंग बनाने के लिए यहां पर नींव खोदी गई। कार्य अधूरा होने की वजह से नींव के लिए खोदे गए बड़े से गड्ढे में अब पानी भरा रहता है, जिसे अब तालाब कहा जाने लगा है। पास में रहने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के बच्चे अगर गड्ढे में आसपास जाते खेलने जाते हैं तो उनके गिरने का डर रहता है। निर्माणाधीन बिल्डिंग में लगे कई ग्लास टूट चुके हैं और पानी में सरिया सड़ रही है। 

ऐसे हुई धन की बर्बादी 

-367 करोड़ खर्च, पर अस्पताल अधूरा 
-5.5 करोड़ रुपये से उपकरण खरीदे
-18 टन सरिया बाहर पड़े गल रही 
-09 बड़े जनरेटर खुले में जंग खा रहे 
-4.5 करोड़ लॉड्री सेटअप में खर्च हुए
- 40 फिट खुदे बेस में भरा रहता पानी।

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