Pilibhit News: दो माह से वेतन न मिलने पर सामूहिक हड़ताल पर गए कर्मचारी, जमकर नारेबाजी

Pilibhit News: दो माह से वेतन न मिलने पर सामूहिक हड़ताल पर गए कर्मचारी, जमकर नारेबाजी

पूरनपुर, अमृत विचार: किसान सहकारी चीनी मिल के साथ जेम पोर्टल पर कर्मचारियों की नियुक्ति का करार करने वाले ठेकेदार ने मिल बंदी के हालात पैदा कर दिए हैं। ठेकेदार ने कर्मचारियों का दो महीने का वेतन रोक रखा है। वेतन भुगतान न होने से तंग कर्मचारियों का बुधवार को आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने सामूहिक हड़ताल करते हुए मिल बंद कर दी। मिल प्रबंधन और ठेकेदार के विरुद्ध नारेबाजी की गई।

बता दें कि चीनी मिल ने इसी पेराई सत्र में जेएम पोर्टल के जरिये कर्मचारियों को रखने का समझौता लखनऊ की फर्म से किया है। आरोप है कि ठेकेदार ने कुछ कर्मचारियों का नवंबर माह तक का वेतन रोक रखा है। दिसंबर और जनवरी महीने का वेतन एक भी कर्मचारी को नहीं मिला है।

कर्मचारी रामनरेश पांडेय के मुताबिक मिल में मास्टर रोल  और संविदा के करीब 400 कर्मचारी हैं। कुछ की पगार सात-आठ हजार रुपये महीना ही है। वेतन न मिलने से उनके सामने परिवार चलाने का संकट बना है। आक्रोशित कर्मचारी बुधवार को कार्य बहिष्कार करते हुए हड़ताल पर चले गए।  

मिल अधिकारी उन्हें समझाने पहुंचे। घंटों मनाने का प्रयास किया लेकिन कर्मचारी काम को तैयार नहीं हुए। जीएम ने जब आश्वस्त किया कि गुरुवार शाम तक हर हाल में भुगतान करवाया जाएगा। काफी मान-मनौव्वल के बाद कर्मचारी काम पर वापस लौटे। चेतावनी दी गई कि अगर वेतन नहीं मिला तो काम नहीं करेंगे।

दो महीने के अंतराल में कई कर्मचारी काम छोड़कर घर चले गए हैं। सुशील कुमार जूस अटैंडेंस के पद पर संविदा पर कार्यरत हैं। पिछले 36 सालों से चीनी मिल में काम कर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद संविदा पर सेवाएं देने लगे। जीएम को अपनी स्थिति बताते हुए उनकी आंखें भर आईं। बोले-साहब दुकानदार उधार राशन नहीं दे रहा है। अधिकांश कर्मचारियों की यही स्थिति है। घर में राशन नहीं है। बच्चों से नजर नहीं मिला पाते हैं।

ठेकेदार ने जमा कराए 12 लाख
कर्मचारियों का आरोप है कि ठेकेदार ने जेम पोर्टल पर पंजीकरण के नाम पर हर कर्मचारी से 3100 रुपये लिए हैं। मिल में 400 कर्मचारी हैं। लगभग 12 लाख रुपये जमा करवाए हैं। किसी भी कर्मचारी को इसकी रसीद नहीं दी।

रुपये जमा कराने के लिए तत्कालीन जीएम आरके वर्मा के हस्ताक्षर वाला एक नोटिस जारी किया गया था। जिस पर सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। वो रुपये क्यों लिए गए? कोई जवाब देने को तैयार नहीं है। कर्मचारियों ने पंजीकरण के नाम पर इकट्ठा किए गए लाखों रुपये का घोटाला होने का भी आरोप लगाया।

कर्मचारियों ने वेतन की समस्या उठाई है। समझाने पर वे काम पर वापस लौट आए। वेतन के संबंध में ठेकेदार से बात की है। ठेकेदार ने मैन्युफैक्चरिंग विभाग के कर्मचारियों का वेतन देने का आश्वासन दिया।  बाकी विभागों के कर्मचारियों का भी वेतन भुगतान कराया जा रहा है--- दीप्ति देव यादव, जीएम-किसान सहकारी चीनी मिल।

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