पीलीभीत: अवैध कॉलोनियां घोषित होने के बाद ध्वस्तीकरण के हुए आदेश, 25 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं... 

पीलीभीत: अवैध कॉलोनियां घोषित होने के बाद ध्वस्तीकरण के हुए आदेश, 25 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं... 

पीलीभीत, अमृत विचार: शहर में विकसित की जा रही सात कॉलोनियों को अवैध घोषित करने के साथ ही ध्वस्तीकरण करने के आदेश कर दिए गए थे। इसके बाद से ही संबंधित कालोनाइजरों में खलबली मची हुई है। मगर आदेश के 25 दिन बीतने के बाद भी कोई एक्शन नहीं हो सका है। एक बार फिर अवैध कॉलोनियों से जुड़ा गंभीर मामला ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। कॉलोनाइजर बचाव को रास्ता तलाश रहे हैं। जिसे लेकर तमाम तरह की चर्चाएं भी तेज हो गई है। हालांकि अफसर आदेश के बाद एक माह तक का समय दिए जाने के नियम का हवाला दे रहे हैं।

बता दें कि शहर के अंदर और आसपास के हाईवे से सटे गांवों में रियल एस्टेट रेग्यूलेटिंग एक्ट (रेरा) में गैर पंजीकृत कॉलोइजर किसानों से सस्ती जमीन खरीदकर अनाधिकृत तरीके से कॉलोनियों बसाई गई। माधोटांडा रोड, आसाम हाईवे आदि पर अधिकांश कॉलोनियों का विनियमित क्षेत्र से न तो नक्शा पास कराया गया न ही न ही उन्हें निर्धारित मानक के अनुरूप बनाया गया। 

जिला प्रशासन ने शहर और आसपास अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा कसते हुए चिन्हीकरण शुरू किया।  फिर कॉलोनियां चिन्हित की गई थीं, जोकि विनियमित क्षेत्र से बिना नक्शा पास कराए विकसित की गई थी। पहले कालोनाइजरों को नोटिस दिए गए। कुछ ने जवाब भी दाखिल कर दिया। अवैध कॉलोनियों को लेकर 18 दिसंबर 2023 को तत्कालीन डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार की अध्यक्षता में हुई बैठक में छह सदस्यीय टीम के समक्ष कॉलोनाइजरों द्वारा 12 आपत्तियां दाखिल की गई थी। 

दाखिल किए गए दस्तावेजों की जांच पड़ताल की गई।  इसके बाद सात कॉलोनियों को अवैध घोषित करार देते हुए रिपोर्ट डीएम को भेजी गई थी। इस पर तत्कालीन डीएम ने सभी को अवैध मानते हुए ध्वस्तीकरण के आदेश 11 जनवरी 2024 को कर दिए थे। इन अवैध कॉलोनियों पर बुल्डोजर चलना तय माना जा रहा था। कॉलोनाइजर ने भी बचाव के लिए दौड़-भाग शुरू कर दी। 25 दिन बीत चुके हैं। तत्कालीन डीएम का भी तबादला हो चुका है। जिसके बाद एक बार फिर कालोनियों पर कार्रवाई से जुड़ा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सात में से एक भी कॉलोनी पर आदेश के बाद कोई एक्शन प्रशासनिक स्तर से नहीं हो सका है।  

सात कालोनियों को अवैध घोषित करते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए थे। इसे लेकर नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जा रही है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पूर्व एक माह का समय दिया जाता है। उसी के चलते अभी एक्शन नहीं लिया गया है। मामला दबाने की बात गलत है--- सुनील कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट।

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