लखनऊ: सार्वजनिक होगी राजधानी के बड़े चिकित्सा संस्थानों में बेड की स्थिति
लखनऊ, अमृत विचार। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि अस्पताल के प्रवेश द्वार पर एक टीम मौजूद रहे, जो यह सुनिश्चित करे कि आने वाले मरीज के साथ सही व्यवहार हो, जरूरत के अनुसार उसे वार्ड ब्वाय, व्हीलचेयर व स्ट्रेचर की सुविधा मिले। इमरजेंसी वार्ड के पास भी अस्पताल प्रशासन की टीम होनी चाहिए। राजधानी के अस्पतालों में उपलब्ध बेड की स्थिति को सार्वजनिक किया जाए ताकि गंभीर मरीजों को भर्ती होने में दिक्कत न हो।
मुख्य सचिव, रविवार को चिकित्सा संस्थानों व अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था, प्रबन्धन व इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं आदि विषयक मुद्दों पर संस्थान के प्रमुखों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अस्पताल की इमजरेंसी में स्ट्रेचर अथवा व्हीलचेयर से मरीज को कहां जाना है और क्या करना है, इस बारे में जानकारी देने की व्यवस्था हो। अस्पताल में स्ट्रेचर व व्हीलचेयर ताले में न रहे । उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीज के साथ अच्छा बर्ताव, बीमारी के बारे में सही से जानकारी और उचित सलाह देने से किसी को कोई शिकायत नहीं रहेगी।
मनोज कुमार सिंह ने कहा कि तकनीकी का उपयोग कर स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाया जाये। पीजीआई, केजीएमयू, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, बलरामपुर, सिविल और लोक बंधु अस्पताल प्रदेश के बड़े अस्पताल हैं प्रदेश भर से मरीज रेफर होकर आते हैं इसलिए बेड की उपलब्धता को पब्लिक डोमेन में डाला जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों व संस्थानों में कुशल डॉक्टर्स व इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्याप्त मात्रा में स्टाफ उपलब्ध है। जबकि निजी चिकित्सा संस्थानों में प्रायः सरकारी अस्पतालों से सेवानिवृत्त चिकित्सक कार्य करते हैं।
बैठक में प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.बृजेश राठौर, एसजीपीजीआई अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख डॉ. आर हर्षवर्धन, केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद, आरएमएल के निदेशक प्रो. सीएम सिंह समेत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सरकारी अस्पतालों के प्रमुख उपस्थित थे।