पीलीभीत: पिंजरे में कैद बाघिन को छठे दिन मिल गई रिहाई, लगाया गया रेडियो कॉलर, विभाग करता रहेगा निगरानी

पीलीभीत, अमृत विचार। कलीनगर क्षेत्र के रेस्क्यू की गई बाघिन को छठे दिन कॉलर लगाने के बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ दिया गया। इससे पूर्व डब्ल्यूआईआई की टीम की देखरेख में पिंजरे में कैद बाघिन को एक्सपर्टों द्वारा ट्रैंक्युलाइज कर कॉलर लगाया गया। वन विभाग के अफसर अब रेडियो कॉलर के जरिए बाघिन की लगातार निगरानी के साथ उसके हेल्थ अपडेट को भी ट्रैक करेंगे।
कलीनगर तहसील क्षेत्र में पिछले तीन महीने से घूम रही बाघिन को 26 दिसंबर को अटकोना गांव से रेस्क्यू किया गया था। बाघिन रात एक बजे से अगले दिन सुबह 11 बजे तक किसान सुखविंदर सिंह के घर की दीवार पर ही बैठी रही थी।
बाघिन के इस व्यवहार के चलते वन्यजीव प्रेमी उसके अस्वस्थ होने की आशंका जता रहे थे। पिंजरे में कैद ढाई साल की बाघिन को माला गेस्ट हाउस ले जाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर चल रही अटकलों के बीच अफसरों के निर्देश पर बाघिन के ब्लड सैंपल को जांच के लिए आईवीआरआई बरेली भेजा गया था। पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने जांच रिपोर्ट में बाघिन के स्वस्थ होने की जानकारी दी थी।
शुक्रवार को एनटीसीए के डीआईजी वैभव माथुर ने भी माला रेंज पहुंचकर बाघिन के संबंध में जानकारी प्राप्त की थी। इधर उच्चाधिकारियों द्वारा बाघिन की लगातार निगरानी के लिए रेडिया कॉलर लगाकर उसे जंगल में छोड़ने के निर्देश दिए गए। रविवार को उच्चाधिकारियों के मिले निर्देश के बाद बाघिन के रिलीज करन को लेकर तैयारियां शुरू की गई।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम की देखरेख में पिंजरे में कैद बाघिन को कर्तनिया घाट के डॉ. दीपक और पीटीआर के ट्रैंक्युलाइज एक्सपर्ट डॉ. दक्ष गंगवार की टीम ने ट्रैंक्युलाइज किया गया। ट्रैंक्युलाइज करने के बाद टीम ने बाघिन को रेडिया कॉलर लगाया गया। इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर की देखरेख में बाघिन को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के के कोर एरिया में छोड़ दिया गया। इस दौरान एसडीओ मयंक पांडेय, एसडीओ अंजनी कुमार, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार, रेंजर पीयूष मोहन श्रीवास्तव, रेंजर रॉबिन सिंह आदि मौजूद रहे।
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