पीलीभीत: राम मंदिर आंदोलन के कई नायक स्वर्ग सिधारे, अब ऐतिहासिक पल का साक्षी बनेगा परिवार

पीलीभीत: राम मंदिर आंदोलन के कई नायक स्वर्ग सिधारे, अब ऐतिहासिक पल का साक्षी बनेगा परिवार

वैभव शुक्ला, पीलीभीत, अमृत विचार। कई दशक चले संघर्ष के बाद अब 22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान होंगे। केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से इस पल को पूरे देश में ऐतिहासिक बनाने की तैयारी कर ली गई है। इस दिन को दिवाली की तरह मनाने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। जिले में भी इसे लेकर भाजपा, संघ, विहिप के साथ ही तराईवासी भी जुट गए हैं। नए साल के साथ ही धार्मिक आयोजन शुरू हो जाएंगे। 

हालांकि इस पल के साक्षी तमाम ऐसे चेहरे नहीं बन सकेंगे, जिन्होंने उस वक्त आंदोलन को धार देने का काम किया था। लोगों के दिलों में राम की अलख जगाई। जेल में बंद हुए और जमानत का प्रयास करते ही रासुका में निरुद्ध कर दिए गए थे। उनके स्वर्ग सिधारने के बाद अब उनका परिवार प्राण प्रतिष्ठा के दिन को ऐतिहासिक बनाएगा।

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अस्सी और नब्बे के दशक में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन शुरू हो गया था।  जनपद में भी इस आंदोलन में कई ऐसे चेहरे रहे, जोकि लगातार सक्रिय भूमिका निभाकर राम नाम की अलख जगाने में जुटे रहे। शिला पूजन, अस्थि कलश यात्रा हो या फिर कार सेवा आदि। बड़ी संख्या में राम भक्त आगे आए और गिरफ्तारी के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा।  लंबे इंतजार, कानूनी लड़ाई और आंदोलन के बाद अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर आकार ले चुका है। 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है।  

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कहना गलत नहीं होगा कि इस पल को ऐतिहासिक बनाने के लिए एक बार फिर साढ़े तीन दशक पुराना माहौल बनने लगा है। घर-घर इस दिन को दिवाली की तरह मनाने की तैयारियां भी शुरू हो गई है। तमाम धार्मिक कार्यक्रम दिनवार तय किए जा चुके हैं। पूर्व विधायक वीके गुप्ता, वीर सिंह, देवेंद्र स्वरुप मिश्र, वीरेंद्र अग्रवाल, मास्टर गोपीकृष्ण सक्सेना, रामगोपाल लोधी, पुरुषोत्तम शरण अग्रवाल, डॉ.मनोहर दत्त शर्मा, योगेंद्र सिंह गंगवार, सुषमा त्रिवेदी, सात बार विधायक रहे किशनलाल आदि ऐसे तमाम चेहरे जो उस वक्त राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे। उनका निधन हो चुका है। मगर उनके परिजन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनेंगे। अपनों की उस वक्त की गई कार सेवा को ऐतिहासिक बनता देख उत्साहित भी हैं।

घंटा और ढोल बजाकर शहर में घूम वीरेंद्र ने किया था सरेंडर
संघ और भाजपा से जुड़े रहे मोतीराम चौराहा के पास रहने वाले वीरेंद्र अग्रवाल भी राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे। उनके पुत्र मोहित अग्रवाल ने बताया कि उस वक्त उनकी उम्र करीब पांच साल रही होगी। मगर पिता की ओर से बयां की गई आंदोलन की गई बातें आज भी उन्हें याद हैं।  

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जिले से अयोध्या गए अन्य कार सेवकों के साथ ही उनके पिता भी गए थे।  छह दिसंबर 1992 में अयोध्या में भी शामिल हुए। वहां से छिपते छिपाते पांच दिन बाद घर आए थे और फिर करीब एक सप्ताह तक घर से अलग रहे। आलम ये था कि तड़के और देर रात दबिश पड़ती थी। पिता ने घंटे और ढोल बजाकर पूरे शहर में जुलूस निकालने के बाद सरेंडर किया था। पिता के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी पीलीभीत और बदायूं की जेल में बंद रहे थे। वीरेंद्र अग्रवाल के निधन के बाद अब उनके बेटे की मानें तो प्राण प्रतिष्ठा के दिन को ऐतिहासिक तौर पर मनाएगा।इस पल को लेकर पूरा परिवार गर्व भी महसूस कर रहा है।

प्रिंटिंग प्रेस संचालक पुरुषोत्तम पर लगी थी रासुका
शहर के मोहल्ला आसफजान के निवासी प्रिंटिंग प्रेस के संचालक पुरुषोत्तम शरण अग्रवाल का निधन नौ जुलाई 2023 हो चुका है। वह भी राम मंदिर आंदोलन में शामिल रहे थे।  गिरफ्तारी के बाद जेल भेजे गए। बताते हैं कि जब जमानत के लिए प्रयास किए गए तो उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई कर दी गई थी। उस वक्त तीन लोगों पर रासुका लगाई गई थी।

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उनके पुत्र सौरभ बंसल ने बताया कि पिता गिरफ़्तारी के दौरान सबसे पहले जेल गए और सबसे अधिक समय बाद अंत में बाहर निकले थे। वह अक्सर राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी बातें बताया करते थे। उस वक्त पर्चे भी जरुरत पड़ने पर प्रिंटिंग प्रेस में ही छापे जाते थे। बेटे ने यह भी बताया कि पिता ने निधन से पहले भी ये कहा था कि जब भी रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हों, तो इस पल को धूमधाम से आजादी के रूप में मनाना। ऐसे में अब हमारा परिवार इस पल को मनाएगा।  

पिता -पुत्र ने साथ बिताए थे जेल में 45 दिन
ललौरीखेड़ा ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम कुकरीखेड़ा के निवासी पंडित देवेंद्र स्वरुप मिश्र उस वक्त भाजपा के सक्रिय नेताओं में शुमार थे।  वह राम मंदिर आंदोलन में भागाीदार बने और अक्टूबर 1990 में पहले सप्ताह में उनकी गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया था।खास बात थी कि उस वक्त इनके बड़े पुत्र भाजयुमो नेता धीरेंद्र मिश्र एडवोकेट की भी गिरफ्तारी हुई थी। पिता- पुत्र दोनों एक साथ बदायूं जेल में डेढ़ माह तक बंद रहे।  पंडित देवेंद्र स्वरुप मिश्र का निधन हो चुका है। उनके साथ जेल में रहे बेटे धीरेंद्र मिश्र वर्तमान में जिला संयुक्त बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। उनका परिवार भी इस पल का साक्षी बनने के लिए उत्साहित है।  

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 बृजस्वरूप गए जेल तो अवधेश ने संभाली जिम्मेदारी
 जिला संयुक्त बार एसोसिएशन के महासचिव आनंद मिश्र ने बताया कि उनके छोटे दादा मोहल्ला तखान निवासी बृजस्वरूप मिश्रा 1985 से 96 जोकि उस दौर में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रहे थे।  राम मंदिर आंदोलन में प्रभात फेरी निकालने के  साथ ही अन्य आयोजनों में  सक्रिय भागीदारी में रहे। उनके जेल जाने के बाद पिता अवधेश चंद्र मिश्र भी आंदोलन की जिम्मेदारी को संभालते रहे। दोनों का निधन हो चुका है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर  उनका परिवार इसे पूरा परिवार भव्य दिवाली की तरह मनाएगा। 

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पीलीभीत, बरेली और बदायूं की जेल में बंद रहे वीके गुप्ता  
1990 में राम मंदिर आंदोलन में शामिल हुए और फिर तीन बार विधायक चुने गए वीके गुप्ता का निधन वर्ष 2018 में हो चुका है। वह तमाम प्रभात फेरियों समेत राम रोटी आंदोलन में भी शामिल रहे थे। उनके पुत्र अंकुर गुप्ता ने बताया कि उस वक्त  पिताजी  पीलीभीत बदायूं और बरेली की जेल में बंद भी रहे थे। पिता से जेल में मुलाकात करने के लिए वह आठ साल की उम्र में परिवार के साथ गए थे।  उस मंजर को वह कभी भुला नहीं सकते। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्य दीपावली की तरह घर से संस्थान और सड़क तक मनाया जाएगा।

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