बरेली: एक सुपरवाइजर के सहारे 100 आंगनबाड़ी केंद्र...कैसे रफ्तार पकड़ें योजनाएं
15 ब्लॉक में सिर्फ तीन सीडीपीओ की तैनाती से चलाया जा रहा है काम

अनुपम सिंह/बरेली, अमृत विचार। जिले में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग का हाल बेहाल है। 15 ब्लॉक में सिर्फ तीन सीडीपीओ (बाल विकास परियोजना अधिकारी) की ही तैनाती से किसी तरह से काम चलाया जा रहा है। इसके अलावा एक सुपरवाइजर के सहारे 100 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र हैं।
50 लाख से अधिक की आबादी वाले जिले में 15 ब्लॉक हैं। हर ब्लॉक में एक सीडीपीओ की तैनाती का मानक है, लेकिन लंबे अर्से से 12 ब्लॉक सीडीपीओ विहीन चल रहे हैं। मौजूदा समय में बहेड़ी में रामगोपाल, शेरगढ़ में भानू सिंह, फतेहगंज में ही सीडीपीओ हैं और 80 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं। जिले में 2857 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, इसमें कुछ मिनी आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित हैं। इन केंद्रों पर एक लाख 40 हजार के करीब तीन से छह साल की उम्र के बच्चे पंजीकृत हैं। सुपरवाइजरों की तैनाती का मानक 114 है, जबकि इसके सापेक्ष महज 29 ही तैनात हैं। ऐसे में एक सुपरवाइजर मौजूदा समय में 100 के करीब आंगनबाड़ी केंद्र की जिम्मेदारी है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के भी करीब 350 पद खाली हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए विभाग की ओर से कई बार शासन में पत्राचार भी किए, लेकिन अभी तक समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
इस तरह की आ रहीं समस्याएं...
सीडीपीओ, सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और आंगनबाड़ी सहायिकाओं की कमी की वजह से विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन में लंबा समय लगता है। योजनाएं समय से पूरा नहीं हो पाती हैं। योजनाओं का लाभ पाने में पात्र वंचित रह जाते हैं या फिर उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है। तय मियाद में अफसरों के आदेश का पालन नहीं हो पाने की वजह से कई बार अधिकारियों को फटकार भी झेलनी पड़ती है।
विभाग में कई पद खाली चल रहे हैं, इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कतें आती हैं, लेकिन फिर भी बेहतर करने के प्रयास किए जाते हैं। सीडीपीओ और अन्य पदों की कमी को पूरा करने के लिए डीएम की ओर से हाल ही में शासन को पत्र भी लिखा गया है। -मनोज कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी
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