भारत की 10 में से छह किशोरियां एनीमिया से पीड़ित, एक अध्ययन में दावा

भारत की 10 में से छह किशोरियां एनीमिया से पीड़ित, एक अध्ययन में दावा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले एक नए भारतीय अध्ययन में कहा गया है कि देश की 10 में से करीब छह किशोरियां रक्त अल्पता (एनीमिया) से पीड़ित हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और अन्य संस्थानों ने अपने अध्ययन में पाया कि भारत में 15 से 19 साल तक की किशोरियों में पोषण की खराब स्थिति, धन और शिक्षा जैसे अन्य सामाजिक-आर्थिक कारकों सहित किशोरावस्था में विवाह और मातृत्व भारतीय महिलाओं में एनीमिया का महत्वपूर्ण कारक हैं। 

पीएलओएस ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय राज्यों में रक्त अल्पता की व्यापकता 60 प्रतिशत से अधिक है और यह 2015-16 के पांच से बढ़कर 2019-21 में 11 हो गई । रक्त अल्पता एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो विशेष रूप से भारत में महिलाओं को प्रभावित करती है। रक्त अल्पता व्यक्ति में लाल रक्त कणों की कमी से जुड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप कमजोरी और थकान महसूस होती है। 

राष्ट्रीय सर्वेक्षण, एनएफएचएस-4 (2015-16) और एनएफएचएस-5 (2019-21) के चौथे और पांचवें दौर के आंकड़ों का उपयोग करते हुए शोध में रुझानों का विश्लेषण करने के लिए क्रमशः 1,16,117 और 1,09,400 किशोरियों का अध्ययन किया। रक्त अल्पता 18 साल से कम आयु में विवाह करने वाली किशोरियों में ज्यादा व्यापक है। एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 में चयनित महिलाओं में से क्रमशः लगभग 10 और आठ प्रतिशत इसी आयुवर्ग से थीं। 

अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 70 प्रतिशत प्रतिभागी ग्रामीण इलाकों में रहती हैं। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि कम से कम दो बच्चों की माता किशोरियों में संतानहीन किशोरियों की तुलना में रक्त अल्पता ज्यादा है। उन्होंने यह भी पाया कि स्तनपान कराने वाली माताओं में रक्त अल्पता ज्यादा व्यापक है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की किशोरियों में देश के अन्य हिस्सों की महिलाओं की तुलना में रक्त अल्पता का खतरा कम है। 

उनका कहना है कि संभवतः ऐसा विविधतापूर्ण और पौष्टिक आहार के कारण है, जिसमें ‘आयरन’ से भरपूर लाल चावल शामिल है। शोध के अनुसार, इन राज्यों में पारंपरिक रूप से लाल चावल खाया जाता है और उनकी संस्कृति में स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले और मौसमी खाद्य पदार्थों पर जोर दिया जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, लाल मांस की अधिक खपत सहित उपरोक्त कारक इन क्षेत्रों में रक्त अल्पता को कम करने में योगदान दे रहे हैं। 

शोध के मुताबिक, कुल मिलाकर, देश के सभी 28 राज्यों में से 21 राज्यों में अलग-अलग स्तर तक रक्त अल्पता के प्रसार में वृद्धि दर्ज की गई। शोध के अनुसार, असम, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि पंजाब, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में पांच प्रतिशत अंकों से कम की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। 

यह भी पढ़ें- G-20 : समावेशी वृद्धि के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर हर साल 4,000 अरब डॉलर की जरूरत