G-20 : समावेशी वृद्धि के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर हर साल 4,000 अरब डॉलर की जरूरत

G-20 : समावेशी वृद्धि के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर हर साल 4,000 अरब डॉलर की जरूरत

नई दिल्ली। जी20 नेताओं ने शनिवार को दुनिया में असमान आर्थिक पुनरुद्धार से निपटने के लिए एक मजबूत, टिकाऊ और समावेशी वृद्धि का आह्वान किया। वैश्विक नेताओं ने देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को पूरा करने के लिए हर साल 4,000 अरब डॉलर की जरूरत को चिन्हित किया।

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भारत की अध्यक्षता में आयोजित दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के शिखर सम्मेलन में अपनाए गए नयी दिल्ली घोषणापत्र (नयी दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन) में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों की ऋण कमजोरियों का प्रबंधन और कर-संबंधित जानकारी के आदान-प्रदान की शुरुआत का भी आह्वान किया गया।

इसके अलावा 2027 तक क्रिप्टो संपत्तियों पर कर संबंधित सूचनाओं का आदान प्रदान करने की बात भी कही गई। घोषणा पत्र में कोयला आधारित बिजली को चरणबद्ध तरीके से कम करने, अकुशल जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और विकासशील देशों के ऊर्जा संक्रमण के लिए कम लागत वाले वित्तपोषण के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया गया।

इसमें कहा गया कि विकासशील देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों के लिए 2030 से पहले करीब 5800 अरब डॉलर की जरूरत होगी। इसके अलावा दुनिया को 2050 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए 2030 तक प्रति वर्ष 4,000 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।

घोषणा पत्र के मुताबिक व्यापक संकटों ने दीर्घकालिक वृद्धि के लिए चुनौतियां पैदा की हैं और इसमें चुनौती का मुकाबला करने तथा दीर्घकालिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अच्छी तरह से तैयार व्यापक आर्थिक और संरचनात्मक नीतियों का आह्वान किया गया। इसमें कहा गया, ''हम समान वृद्धि को बढ़ावा देकर और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाकर कमजोर लोगों की रक्षा करेंगे।''

वैश्विक वित्तीय स्थितियों में उल्लेखनीय सख्ती, जो ऋण कमजोरियों, लगातार मुद्रास्फीति और भू-आर्थिक तनाव को बदतर बना सकता है, के चलते जोखिमों का संतुलन नीचे की ओर झुका हुआ है। समूह ने कहा कि हम अच्छी तरह से तैयार मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय और संरचनात्मक नीतियों की जरूरत को दोहराते हैं। इसके लिए वृद्धि को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए नीतियां बनाई जाएंगी।

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