Mohammed Shami Hasin Jahan Case : मोहम्मद शमी की गिरफ्तारी से रोक हटी, 30 दिन में लेनी होगी जमानत

मुरादाबाद, अमृत विचार। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की मुश्किलों ने दोबारा दस्तक दे दी। अब उन्हें पत्नी हसीन जहां के घरेलू हिंसा और छेड़छाड़ के विवाद में कोर्ट से जमानत करानी पड़ेगी। 30 दिन के भीतर यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी। अलीपुर की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने यह निर्णय सोमवार को दिया है। साल 2019 में शमी की पत्नी हसीन जहां ने पश्चिम बंगाल के अलीपुर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शमी के प्रार्थना पत्र पर गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी थी। चार साल से मामला अलीपुर के एसीजेएम कोर्ट में लंबित होने को लेकर हसीन जहां में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अलीपुर कोर्ट को एक माह के भीतर मामले की आपराधिक पुनरीक्षण और निस्तारण के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश की कॉपी लेने के बाद हसीन कोलकाता लौट गईं थी।
बुधवार को दूरभाष पर बातचीत में हसीन जहां ने सेशन कोर्ट अलीपुर के निर्णय की जानकारी दी। कोर्ट के निर्णय की प्रति के माध्यम से बताया कि अब मुझे न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। मेरा मानना है कि मेरे साथ इंसाफ होकर रहेगा। बोलीं, मेरे साथ मासूम बेटी का भरण पोषण भारी पड़ रहा है। जिस अबला को चार साल से यह दिन देखना पड़ रहा है, उसकी पीड़ा कोई भी संवेदनशील आदमी समझ सकता है। मुझे न्यायपालिका और अल्लाह-तआला पर पूराभरोसा है।
यह दिया है आदेश
आपराधिक प्रस्ताव की अनुमति दी जाती है। 29 अगस्त 2019 का आक्षेपित आदेश निरस्त किया जाता है। चूंकि मामला कमोबेश चार वर्षों से इसी चरण में आरोप पत्र प्रस्तुत करने के बाद से लंबित है, मुझे याचिकाकर्ताओं/आरोपी व्यक्तियों पर निचली अदालत द्वारा सम्मन के रूप में आगे की प्रक्रिया जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं लगती। निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही की प्रक्रिया में देरी से बचने के लिए, याचिकाकर्ताओं को इस आदेश की तारीख से तीस (30) दिनों के भीतर आगे की कार्यवाही के लिए निचली अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है। यदि अभियुक्तों/याचिकाकर्ताओं की उपस्थिति के समय कोई जमानत आवेदन किया जाता है तो विद्वान ट्रायल कोर्ट कानून के अनुसार उसका निपटान करेगा। इसलिए तत्काल आपराधिक प्रस्ताव को तदनुसार निपटाया जाता है। अंतरिम आदेश, यदि कोई हो, निरस्त किया जाता है।
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