सूडान में युद्ध की कीमत चुका रहे बच्चे, अप्रैल से अब तक भूख से 500 बच्चों की मौत
काहिरा। अप्रैल में पूर्वी अफ्रीकी देश में लड़ाई शुरू होने के बाद से सूडान में लगभग 500 बच्चे भूख से मर चुके हैं - जिनमें राजधानी खार्तूम में सरकार द्वारा संचालित अनाथालय के दो दर्जन बच्चे भी शामिल हैं। एक प्रमुख सहायता समूह ने मंगलवार को यह जानकारी दी। ‘सेव द चिल्ड्रेन’ ने यह भी कहा कि कम से कम 31,000 बच्चों को कुपोषण और संबंधित बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं मिल पाई है, क्योंकि परमार्थ संस्था को सूडान में अपने 57 पोषण केंद्रों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
सूडान में सेना और एक प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बल के बीच महीनों से चल रहे तनाव के बाद 15 अप्रैल को खुली लड़ाई शुरू हो गई थी, जिससे वहां अराजकता की स्थिति पैदा हो गई। संघर्ष ने खार्तूम और अन्य शहरी क्षेत्रों को युद्ध के मैदान में बदल दिया है। कई निवासी पानी और बिजली के बिना रहने को मजबूर हैं, जबकि देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली लगभग ध्वस्त हो गई है। सूडान में ‘सेव द चिल्ड्रन’ के निदेशक आरिफ नूर ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हम इतनी संख्या में बच्चों को भूख से मरते देखेंगे, लेकिन सूडान में अब यही हो रहा है।
हम बच्चों को ऐसी स्थिति में मरते देख रहे हैं, जिसे पूरी तरह रोका जा सकता था।” संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज थ्रोसेल के अनुसार, सूडान में हिंसा में कम से कम 4,000 लोगों के मारे जाने का अनुमान है। जमीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों का कहना है कि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक होने की संभावना है। संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी के अनुसार, 44 लाख से अधिक लोगों को अपने घरों से भागकर या तो सूडान में सुरक्षित क्षेत्रों में या पड़ोसी देशों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
‘सेव द चिल्ड्रन’ ने कहा कि मई और जुलाई के बीच, दक्षिणी व्हाइल नाइल प्रांत में कम से कम 316 बच्चे, जिनमें से ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के थे, कुपोषण या संबंधित बीमारियों से मर गए। उसने कहा कि पिछले आठ महीनों में 2,400 से अधिक बच्चों को गंभीर कुपोषण - कुपोषण का सबसे घातक रूप - के साथ अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पूर्वी कादरिफ प्रांत में, अप्रैल और जुलाई के बीच सरकार द्वारा संचालित बाल अस्पताल में कुपोषण से कम से कम 132 बच्चों की मौत हो गई। परमार्थ संस्था ने कहा कि संघर्ष के पहले छह हफ्तों में खार्तूम के एक अनाथालय में दो दर्जन शिशुओं सहित कम से कम 50 बच्चों की भूख या संबंधित बीमारियों से मृत्यु हो गई। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि लड़ाई के कारण ‘सेव द चिल्ड्रन’ के कर्मचारियों को उनकी देखभाल के लिए वहां तक पहुंच नहीं पाए।
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