केरल: मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की बेटी के वित्तीय लेन-देन को लेकर छिड़ा विवाद

केरल: मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की बेटी के वित्तीय लेन-देन को लेकर छिड़ा विवाद

तिरुवनंतपुरम/नई दिल्ली। केरल में एक निजी खनिज कंपनी और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की बेटी टी वीणा तथा उनकी आईटी कंपनी के बीच कुछ वित्तीय लेन-देन को लेकर विवाद छिड़ गया है। ऐसे सबूत भी सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि कंपनी का सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ-साथ विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के शीर्ष नेताओं के साथ लेनदेन था।

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यह मुद्दा तब सामने आया जब हाल में एक मलयालम दैनिक समाचार पत्र की खबर में कहा गया था कि ‘कोचीन मिनरल्स एंड रूटाइल लिमिटेड’ (सीएमआरएल) ने 2017 और 2020 के बीच तीन साल की अवधि के दौरान मुख्यमंत्री की बेटी को कुल 1.72 करोड़ रुपये का भुगतान किया। खबर में निपटान के लिए अंतरिम बोर्ड के हाल में आये फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि कोच्चि स्थित कंपनी ने पहले परामर्श और सॉफ्टवेयर सहायता सेवाओं के लिए वीना की आईटी फर्म के साथ एक समझौता किया था।

खबर में आयकर विभाग के समक्ष खनिज कंपनी के अधिकारियों के बयान का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस तथ्य के बावजूद कि उनकी फर्म द्वारा कोई सेवा प्रदान नहीं की गई थी, एक ‘‘प्रमुख व्यक्ति’’ के साथ उनके संबंधों के कारण मासिक आधार पर राशि का भुगतान किया गया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री विजयन पर निशाना साधा और उनसे उनकी बेटी के खिलाफ लग रहे आरोपों पर चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया।

इस मुद्दे पर माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ पर निशाना साधते हुए, भाजपा की केरल इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन ने कहा कि केरल में सत्तारूढ़ और विपक्षी दल मासिक आधार पर ‘‘लुटेरों’’ से धन लेते हैं। उन्होंने यहां पार्टी के विधानसभा मार्च को संबोधित करते हुए कहा कि न केवल मुख्यमंत्री की बेटी, बल्कि विपक्षी नेताओं को भी खनन कंपनी से ‘‘मासिक भुगतान’’ मिलता है।

विधानसभा में इस मुद्दे को नहीं उठाने के लिए यूडीएफ की आलोचना करते हुए, सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि राज्य में विपक्षी नेता ऐसे लोग हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री और उनकी बेटी के भ्रष्टाचार को पूरा समर्थन दिया है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि अगर विपक्ष ने इस मुद्दे पर स्थगन का नोटिस दिया होता, तो भी मुख्यमंत्री जवाब नहीं देते।

सत्तारूढ़ माकपा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और दावा किया कि खबर पूरी तरह से निराधार है और मुख्यमंत्री की बेटी को उनकी आईटी फर्म और खनिज कंपनी के बीच कानूनी रूप से वैध अनुबंध के अनुसार राशि मिली थी। पार्टी के राज्य सचिवालय ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा, ‘‘दो कंपनियों के बीच एक अनुबंध पारदर्शी होता है। सभी वित्तीय लेनदेन बैंक के माध्यम से किए गए थे।’’

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने भी इस मामले को सदन में नहीं उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि यह राज्य में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच समझौते की राजनीति का नवीनतम उदाहरण है। मुरलीधरन ने कहा कि राज्य में केवल एक ही संयुक्त मोर्चा है और इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री पिनराई विजयन कर रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि चाहे भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या धार्मिक आस्था का, विजयन ही वह व्यक्ति हैं जो निर्णय लेते हैं और सतीशन उनके सभी निर्देशों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की विफलता ‘‘शर्मनाक’’ है।

दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने एक बयान में केरल के मुख्यमंत्री की बेटी की कंपनी को किए गए भुगतान को ‘‘वीणा टैक्स’’ करार दिया। सीएमआरएल के प्रबंध निदेशक एस. एन. शशिधरन कर्ता ने कहा कि अनुबंध के अनुसार मासिक किस्तों में पैसे का भुगतान किया गया था।

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