अयोध्या: समदा झील का कराना था उद्धार, हो रहा बंटाधार, बदहाल हुई पक्षी विहार सौंदर्यीकरण योजना

अयोध्या: समदा झील का कराना था उद्धार, हो रहा बंटाधार, बदहाल हुई पक्षी विहार सौंदर्यीकरण योजना

सोहावल, अयोध्या, अमृत विचार। पर्यटन के नजरिए से रिंग रोड से जुड़ी सोहावल की समदा झील पक्षी विहार योजना बदहाली का शिकार हो चुकी है। महज पौधरोपण कार्यक्रम को छोड़कर सारी योजनाएं केवल कागजों पर दौड़ रही है। पिछले छह महीनों में विकास के नाम पर लाखों खर्च किए गए, लेकिन 75 फीसदी झील जलकुंभी से पटी पड़ी है। 

यही नहीं झील की मछलियां और आने वाले पक्षी पर इनके शिकारी चारा डाले दिन दहाड़े बैठे नजर आते हैं। निगरानी के लिए दो चौकीदारों की व्यवस्था केवल रात के लिए बनाई गयी है। ये हाल तब है जब शासन-प्रशासन के अधिकारी आये दिन इसका निरीक्षण करते हैं।
      
लगभग 67 हेक्टेयर में फैली दर्जन भर राजस्व ग्राम पंचायतों से घिरी कोला मोइया, भिखारीपुर गऊ घाट की सीमावर्ती समदा झील को पर्यटन से जोड़कर वहां पक्षी विहार के लिए करीब नौ करोड़ की योजना का डीपीआर बनाया गया था। पहले चरण में बांध, तालाब, टीले आदि बनाकर पौधरोपण का कार्य 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. अनिल पाठक ने शुरू कराया। 

शासन ने रुचि दिखाई तो बीते वर्ष झील के विकास ने रफ्तार पकड़ी और अब सुबह शाम सैकड़ों सैलानी झील पर घूमने आने लगे है। पक्की सड़क के दोनों ओर झील में पानी के बीच मछलियां और टीलों पर प्रवासी पक्षी तक नजर आते हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा बदहाली के चलते नहीं हो पा रही है। प्रतिदिन दर्जनों शिकारी इनके शिकार के लिए घात लगाए बैठे देखे जा सकते है, जिनको संरक्षण देने के लिए खाने पीने के शौकीन कुछ खाकी वर्दीधारी भी गेट पर खड़े मिल जाएंगे।

दिन में दुकानदारी रात में चौकीदारी
समदा सौंदर्यीकरण की रखवाली के लिए दिन में कोई व्यवस्था नहीं है। सब राम भरोसे चलता है। पौधरोपण के ठेकेदार का सुपरवाइजर शैलेन्द्र अवस्थी अपने पेड़ों की रखवाली करता है, जबकि रात की निगरानी के लिए निहत्थे दो चौकीदार 10 हजार मासिक पर नियुक्त किए गए हैं इनमे एक फूल चंद रावत दिन में चाय पान की दुकान चलाता है तो दूसरा भिखारीपुर का तालेवन्त है। 

योजना में नहीं आने देंगे धन की कमी
योजना के कंसल्टेंट अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि स्थानीय नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है। ईको टूरिज्म के तहत रिसोर्ट, हॉस्पिटल, वाच टॉवर, टेंट सिटी, झोपड़ आवास व सुरक्षा आदि को लेकर जनता के बीच से निर्माण इकाइयों को लाने के लिए जल्दी ही विज्ञप्ति जारी होने वाली है। जगह शासन उपलब्ध कराएगा। निर्माण निजी संस्थाए कराएंगी। इसके सौंदर्यीकरण के लिए धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी

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