गायत्री प्रजापति के खिलाफ शुरू की गयी कार्रवाई को रद करने से हाईकोर्ट का इंकार

गायत्री प्रजापति के खिलाफ शुरू की गयी कार्रवाई को रद करने से हाईकोर्ट का इंकार

लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अनुपातहीन राशि खर्च करने के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ शुरू की गयी कार्रवाई को रद्द करने से इंकार कर दिया है। 

उनकी याचिका को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एकत्र किए गए सबूतों के बाद जांच करने के बाद शिकायत दर्ज की है, जिससे प्रथम दृष्टया पीएमएलए के तहत अपराध स्थापित हुआ है और इसलिए पारित आदेश में कुछ अवैध नहीं है।” विशेष अदालत (पीएमएलए) ने उनकी रिहाई की याचिका और उनके खिलाफ आरोप तय करने के अदालत के आदेश को खारिज कर दिया। 

पीठ ने विशेष अदालत के समक्ष चल रही कार्यवाही को चुनौती देने वाली प्रजापति की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया। प्रजापति ने दलील दी थी कि मामले में उन पर मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रजापति को विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना करने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा, “2012 से 2017 की अवधि के दौरान मंत्री रहने के दौरान प्रजापति ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और गैरकानूनी तरीके से कई करोड़ रुपये नकद प्राप्त किए। उनके परिवार के सदस्यों, उनके कर्मचारियों और कंपनियों के बैंक खातों, जिनमें उनके बेटे निदेशक थे, की जांच से पता चला कि मंत्री बनने के बाद से आवेदक की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है।'' 

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