बरेली: तीन सौ बेड कोविड अस्पताल में दवाओं का टोटा, भटक रहे मरीज
बरेली, अमृत विचार। तीन सौ बेड कोविड अस्पताल में पिछले 15 दिन से कई प्रकार की दवाओं के ना होने से किल्लत है। ऐसे में यहां आने वाले मरीज बाहर से दवाईयां खरीदने को मजबूर हैं। हाल यह है कि आसानी से मिलने वाली दवा से लेकर कई महत्वपूर्ण दवाओं के न होने से मरीज इलाज कराने तो आते हैं, लेकिन दवा के लिए उन्हें भटकना पड़ रहा है। वह अस्पताल में आने का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
दरअसल सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में उपचार व दवाईयां निःशुल्क दिये जाने का प्रावधान है। वर्तमान में अस्पताल जरूरी दवाओं की कमी से जूझ रहा है। अस्पताल में इस समय चर्म रोग, आंखों से संबंधित दवाईयां सहित बच्चों की दवाईयों का भी टोटा है। ऐसे में चिकित्सक भी इन दवाओं को लिखने में परहेज कर रहे हैं। जिन लोगों को अधिक दिक्कत है, वे बाहर से दवा खरीदने को मजबूर हैं। मरीजों को अस्पताल में पैरासीटामॉल, सिट्राजिन, कैल्शियम, रेनिटिडीन, बी-कॉम्लेक्स, ओमोप्रोजॉल, एंटी फंगल ऑन्ट्मेंट, एंटासिट, मेट्राजिल, सिप्लोफ्रॉक्सिन, फ्लूकोनाजॉल और बिफिलेक आदि दवा दी जा रही हैं। जबकि मैट्रोप्रारॉल, ईकोस्प्रिन, अंजेक्शन रैनटेक, पेंटोप्रोजॉल, एल्बुमिन और इंसुलिन मेंट्फॉर्मिन, ग्लिक्टिंस, ग्लैक्समेट, ओल्मीसॉटन, एंटीबायोटिक इंजेक्शन सिफोटेक्सिन, बच्चों के सिरप लीवोफ्लोक्सॉसिन, बच्चों के पेट दर्द की दवा एंटीस्पॉमे रेंटिक सिरप इत्यादि उपलब्ध नहीं हैं। ।
ये दवाई काफी दिनों से शॉर्ट
सिफेटेक्सिन वन एमजी, मैट्रोजिल आईबी और सिप्रॉफ्लेक्सिन फ्लूड इत्यादि। इन सभी दवाईयों का ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होता है। इन दवाईयों का मेडिकल अस्पताल में पिछले एक माह से टोटा चल रहा है, जिसके चलते मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाकर उपचार कराने को मजहबूर होना पड़ रहा है।
दर्जनों मरीज जा रहे वापस
अस्पताल से रोजाना दर्जनों मरीज रोग संबधित दवा न होने से वापस जाने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि जब अस्पताल में दवा ही नहीं है तो इलाज कराने से क्या फायदा। जब दवा बाहर से खरीदना पड़े तो अस्पताल का क्या फायदा। दवा न होने से मरीज वापस लौट रहे हैं। रोग संबंधित दवाई न होने की वजह से वापस जाने को मजबूर हो रहे हैं। उनका कहना है कि जब दवाईयां बाहर से खरीदनी है तो सरकारी अस्पताल में उपचार कराने में क्या फायदा।