प्रयागराज : अपहरण केस में फैसला आज, अतीक-अशरफ की MP-MLA कोर्ट में होगी पेशी, 17 साल बाद मिलेगी सजा
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)। प्रयागराज में उमेश पाल के आवास के बाहर सुरक्षा तैनात की गई है। अपहरण के एक मामले में प्रयागराज कोर्ट आज (मंगलवार) फैसला सुनाएगी। माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ समेत मामले के सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा। प्रयागराज में उमेश पाल के आवास के बाहर सुरक्षा चाक-चौबंद की गई। प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में आज उमेश पाल अपहरण मामले में सुनवाई होगी।
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने कहा, मैं कोर्ट से यही उम्मीद करती हूं कि उसको(अतीक अहमद) फांसी की सज़ा दिलाई जाए। जब तक जड़ खत्म नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो पाएगा। हम डर के साए में जी रहे हैं।
उमेश पाल की मां शांति देवी ने कहा, मेरे बेटे ने बहुत संघर्ष किया है। जेल उसका(अतीक अहमद) घर है और वहां से वो कुछ भी करा सकता है। प्रशासन ने अभी तक जो भी कुछ किया है उससे हम संतुष्ट हैं। मेरी यही मांग है कि उसको फांसी की सजा हो।
बता दें, अतीक 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण कांड में मुख्य आरोपी है। उमेश ने उस समय आरोप लगाया था कि 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद ने उसका अपहरण करवाया। उसके साथ मारपीट और जान से मारने की धमकी दी, क्योंकि वह राजू पाल हत्याकांड का एकमात्र गवाह था।
बता दें कि गैंगस्टर और पूर्व सांसद अतीक अहमद को साबरमती जेल (गुजरात) से लेकर आ रही यूपी पुलिस का काफिला सोमवार शाम नैनी जेल (प्रयागराज) पहुंच चुका है। प्रयागराज पहुंचने के बाद अतीक अहमद को उसके भाई अशरफ और एक अन्य आरोपी के साथ नैनी जेल (प्रयागराज) में शिफ्ट किया गया।
अतीक और अशरफ को नैनी सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। मंगलवार की सुबह 10 बजे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को हाई सिक्योरिटी के बीच जेल से प्रयागराज की स्पेशल MP-MLA कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले में अतीक-अशरफ समेत कुल 10 आरोपियों पर फैसला आना है।
माफिया-राजनेता पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तत्कालीन विधायक राजू पाल हत्याकांड मामले के गवाह उमेश पाल के अपहरण के मामले में मंगलवार को यहां एक स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा।
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने कहा कि वह अदालत नहीं जाएंगी और अपने घर पर फैसले का इंतजार करेंगी। अहमद और अशरफ की पेशी के मद्देनजर अदालत और जेल परिसर के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। दोनों भाइयों को दो अलग-अलग जेलों से सोमवार को प्रयागराज लाया गया था।
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने संवाददाताओं से कहा, मैं अदालत नहीं जा रही हूं। मैं अपने घर में रहूंगी और अहमद के लिए मृत्युदंड की प्रार्थना करूंगी।’’ अहमद और अशरफ पर 2005 में राजू पाल की हत्या के प्रमुख गवाह उमेश पाल की पिछले महीने हुई हत्या के मामले में साजिश में शामिल होने का भी आरोप है।
उमेश पाल और उसकी सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों की 24 फरवरी को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पाल की पत्नी जया की शिकायत पर प्रयागराज के धूमनगंज थाने में अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम तथा नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
बसपा विधायक राजू पाल की 25 जनवरी, 2005 को हुई हत्या के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल ने पुलिस को बताया था कि वह हत्या का चश्मदीद था। उमेश ने आरोप लगाया था कि जब उसने अतीक अहमद के दबाव में पीछे हटने और झुकने से इनकार कर दिया तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया था।
अतीक, उसके भाई अशरफ और चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पांच जुलाई 2007 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मामले में अदालत में पेश किए गए आरोप पत्र में 11 आरोपियों का जिक्र है। फूलपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद अतीक अहमद को जून 2019 में गुजरात की साबरमती केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
उत्तर प्रदेश में जेल में रहने के दौरान रियल एस्टेट व्यवसायी मोहित जायसवाल के अपहरण और मारपीट का आरोप लगने के बाद अतीक को साबरमती जेल भेजा गया था। अतीक अहमद उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद है।
अधिकारियों ने बताया कि जुलाई 2020 से बरेली जिला जेल में बंद अशरफ को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सोमवार शाम नैनी केंद्रीय जेल लाया गया। उसके साथ पुलिस की एक टीम सोमवार सुबह बरेली से प्रयागराज के लिए रवाना हुई।
चकिया निवासी तांगे वाले स्व. हाजी फिरोज अहमद के बेटे अतीक के खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 1979 में लिखा गया था। खुल्दाबाद थाने में पहला मुकदमा हत्या के आरोप में दर्ज हुआ था, जिसका क्राइम नंबर 401 है। इसके बाद अतीक ने जरायम की दुनिया में कदम बढ़ाते हुए हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, अपहरण, बलवा जैसे तमाम जघन्य अपराध को अंजाम दिया।
पिछले 42 साल में उसके विरुद्ध विभिन्न थानों में 101 मुकदमा लिखे जा चुके हैं, मगर किसी में उसे सजा नहीं हो पाई है। अब चार दशक बाद मंगलवार को पहली बार माफिया अतीक को सजा मिल सकती है।
इसी तरह खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी पहली दफा सजा मिल सकती है। उसके विरुद्ध भी अलग-अलग थानों में 52 मुकदमे दर्ज हैं। बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को दिनदहाड़े फांसी इमली सुलेम सरांय के पास से अपहरण कर लिया गया था।
हथियारों से लैस कार सवार लोगों ने उमेश पाल को कार से अगवा करने के बाद अतीक के कार्यालय ले गए और रात पर पिटाई करने के बाद अगले दिन कोर्ट में माफिया के पक्ष में गवाही दिलवा दी थी। उस वक्त उमेश पाल जिला पंचायत सदस्य था। घटना के बाद पांच जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, दिनेश पासी, अंसार और सौलत हनीफ के खिलाफ मुकदमा कायम किया था।
अपहरणकांड के 17 साल बाद इस मुकदमे में निर्णय आएगा, जिसको लेकर सरगर्मी तेज है। जानकारों का कहना है कि अस्सी के दशक में खूनी खेल खेलने का सिलसिला अतीक ने शुरू किया तो कई साल तक चला। इस दौरान उसने संगठित रूप से गिरोह तैयार करके अपराध कारित करने लगा।
पुलिस ने अतीक के करीबियों की फेहरिस्त तैयार करते हुए गैंग चार्ट बनाया और उसका नाम दिया गया इंटर स्टेट-227। इस गैंग में सदस्यों के नाम समय-समय पर घटते-बढ़ते रहे हैं। अब माफिया की 28 मार्च को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी है।
धारा 364A में फांसी की सजा का प्रावधान
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट शाश्वत आनंद ने बताया कि अपहरण करने वालों पर ही हत्या का भी आरोप लग गया है। ऐसे में धारा 364A में फांसी की सजा का प्रावधान भी है। चूंकि वादी उमेश पाल की हत्या भी हो चुकी है और हत्या का आरोप भी अपहरण कराने वालों पर ही है। ऐसे में अपराध और गंभीर हो जाता है। उन्होंने बताया, अगर अतीक अहमद उसके भाई अशरफ पर दोष सिद्ध होता है, तो 10 साल की कैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। इस केस में जीवित रहते उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी।
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