बरेली: मिर्गी पसार रहा पांव, नौनिहाल भी चपेट में

 फीसदी रोगियों को फीता कृमि होने के कारण पड़ रहे मिर्गी के दौरे, जिला अस्पताल में हर महीने पहुंच रहे 400 से 450 तक मरीज

बरेली: मिर्गी पसार रहा पांव, नौनिहाल भी चपेट में

अमृत विचार : जिला अस्पताल में हर माह 400 से 450 न्यूरोसिस्टीसरकोसिस यानि मिर्गी से ग्रसित मरीज पहुंच रहे हैं। इस बीमारी में फीता कृममि (कीड़े) दिमाग के अंदर पहुंच जाते हैं। पिछले दिनों एक केस आया है जिसमें नौ साल के बच्चे के दिमाग के अंदर 200 से ज्यादा फीताकृमि (टेपवार्म) मिले। 

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मानसिक रोग विभाग के विशेषज्ञ डा. आशीष कुमार के मुताबिक मिर्गी के दौरे के दौरान जब बच्चे का अस्पताल में सीटी स्कैन किया गया तो इसकी जानकारी हुई। उन्होंने बताया कि मिर्गी का दौरा पड़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन भारत में 70 फीसदी मरीजों के दिमाग में फीताकृमि होना मुख्य कारण हैं।

जिला अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित 11 से 40 वर्ष की उम्र तक के लोग आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि टेपवार्म मुख्यत: फलों और सब्जी के अंदर पाया जाता है। यदि आप उनको ठीक से धोकर या हर बार खाने से पहले हाथ नहीं धोते हैं तो यह पेट के अंदर पहुंच जाते हैं। बाद में रक्तवाहिनी की मदद से दिमाग के अंदर पहुंच जाते हैं।

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कृमि बच्चों से छीन लेता है पोषण: राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य (शहरी क्षेत्र) के नोडल अधिकारी डा. सीपी सिंह ने बताया कि बच्चों में पेट में दर्द, उल्टी आना, कब्ज, शौच के समय खून आना जैसी समस्याओं में 70 प्रतिशत कारण पेट के कीड़े होते हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में आज भी हाइजीन पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके कारण पेट में गोल कृमि, फीता कृमि जैसे कीड़े पनपने लगते हैं।

जब संक्रमित व्यक्ति खुले में शौच करता है तो यह कीड़े जमीन या पानी में चले जाते हैं। सफाई न रखने से कभी गंदे हाथों या गंदे पानी द्वारा यह कीड़े पेट में जाकर आंतों से चिपक जाते हैं। एक कीड़ा दिन में 0.04 एमएल खून चूसता है। कभी-कभी कीड़ा दिमाग और शरीर के किसी भी अंग में चला जाता है।

बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं और उनका आईक्यू लेवल कम हो जाता है। एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार 52 फीसदी जनसंख्या एनीमिक है। कीड़ों से बचने के लिए साल में दो बार एल्बेंडाजाल दवा खिलाई जाती है।

इन बातों का रखें ध्यान  

  • कृमि संक्रमण से बचाव के लिए हमेशा हाथ धोकर खाना खाना चाहिए
  • हरी पत्तेदार सब्जियां या फल को अच्छी तरह धोने के बाद ही खाना चाहिए
  • घर के आस-पास साफ-सफाई का ध्यान रखें
  • नाखून साफ और छोटे रखें
  • साफ और स्वच्छ पानी पीएं
  • शौच जाने के बाद हाथ साबुन से जरूर धुलें
  • खुले में शौच न करें

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