Banda के डॉ. कन्हैयालाल ने आसान की बीए-एमए के छात्रों की राह, शेखर प्रकाशन ने प्रकाशित की पुस्तक ‘चंदेलों का इतिहास’

बांदा के डॉ. कन्हैयालाल ने बीए-एमए के छात्रों की राह आसान की।

Banda के डॉ. कन्हैयालाल ने आसान की बीए-एमए के छात्रों की राह, शेखर प्रकाशन ने प्रकाशित की पुस्तक ‘चंदेलों का इतिहास’

बांदा के डॉ. कन्हैयालाल ने बीए-एमए के छात्रों की राह आसान की। वहीं, शेखर प्रकाशन ने चंदेलों का इतिहास पुस्तक प्रकाशित की।

बांदा, अमृत विचार। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी ने बीए और एमए के पाठ्यक्रम में बुंदेलखंड का इतिहास विषय में शामिल किया गया है, लेकिन इस विषय पर छात्रों और शोधार्थियों के लिये बाजार में कोई पुस्तक उपलब्ध न होने से वे इधर-उधर भटकने को मजबूर थे। चंदेलों के इतिहास पर डॉ.कन्हैयालाल अग्रवाल द्वारा लिखी पुस्तक का शेखर प्रकाशन प्रयागराज ने प्रकाशित कर छात्रों की समस्या का समाधान कर दिया है।

तकरीबन 80 साल पहले डॉ.कन्हैयालाल अग्रवाल का जन्म 10 दिसंबर 1942 को बांदा शहर के बन्यौटा मोहल्ले में हुआ था। सेवानिवृत्ति के बाद वे वर्तमान में एमपी के छतरपुर जनपद अंतर्गत नौगांव तहसील में रह रहे हैं। आज वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इतिहास विषय पर उनकी सन 1980 से अब तक 11 पुस्तककें प्रकाशित हो चुकी हैं। चित्रकूट का इतिहास समेत चार पुस्तकें प्रेस में प्रकाशनाधीन हैं।

सागर विश्वविद्यालय ने सन 1973 में विंध्य क्षेत्र का ऐतिहासिक भूगोल नामक विषय पर पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया था। वर्ष 1987 में पीएचडी की यह थीसिस आईसीएचआर नई दिल्ली प्रकाशित भी हुई। सन 1996 में सतना एमपी की संस्था ने भगवानदास सफड़िया और सन 2014 में नीरज न्यास पुरस्कार प्रदान किया। सन 2014 में ही सारस्वत पुरस्कार झांसी और सन 2015 में दीवान कृपाल सिंह सम्मान पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा गया।

डॉ.कन्हैयालाल की 2 वर्षों में तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हुई। सन 2020 में कालिंजर का इतिहास प्रारंभ से आधुनिक काल तक और बुंदेलखंड का इतिहास प्रारंभ से सन 825 ई. तक, बिहार पब्लिकेशन नई दिल्ली ने इन महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया।

सन 2022 ई. में बुंदेलखंड के इतिहास से संबंधित नवीन जानकारियों से परिपूर्ण अनूठा और बेहद उपयोगी ग्रंथ्र चंदेलों का इतिहास प्रकाशित हुआ। चंदेलों के इतिहास में तमाम भ्रांतियां विद्यमान रहीं। इसलिये चंदेल इतिहास का पूरा चित्र जनमानस में प्रकट नहीं हो सका।

इसी तथ्य को ध्यान में रखकर विख्यात इतिहासकार डॉ.कन्हैयालाल अग्रवाल ने चंदेलों का इतिहास नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने चंदेलों से संबंधित अधुनातन प्रकाशित सामग्री का उपयोग करके ग्रंथ को अनूठा बना दिया। इनकी लिखी यह पुस्तक सभी प्रमुख बुक स्टॉल में उपलब्ध कराई गई है, ताकि छात्र उसे खरीदकर परीक्षा की तैयारी कर सकें।