… मैं उस शाम आऊंगी – ऋतु गोड़ियाल

… मैं उस शाम आऊंगी – ऋतु गोड़ियाल

सुनो…. मैं उस शाम आऊंगी, जिस शाम तुम गुनगुनाओगे। तुम्हारे हाथों की गर्मी, आंखों की शरारतें, और होंठो की मुस्कान, ये सब पुकारेंगी तो.. मैं उस शाम आऊंगी। मैं फूल चुनूंगी सदाबहार के, मैं आंखों में काजल, माथे पर बिंदिया, जब सजाऊंगी, मैं उस शाम आऊंगी । प्रियतम मेरे…. जिस शाम तुम्हें जाना ना होगा, …

सुनो….
मैं उस शाम आऊंगी,
जिस शाम तुम गुनगुनाओगे।
तुम्हारे हाथों की गर्मी,
आंखों की शरारतें,
और होंठो की मुस्कान,
ये सब पुकारेंगी तो..
मैं उस शाम आऊंगी।
मैं फूल चुनूंगी सदाबहार के,
मैं आंखों में काजल,
माथे पर बिंदिया,
जब सजाऊंगी,
मैं उस शाम आऊंगी ।
प्रियतम मेरे….
जिस शाम तुम्हें जाना ना होगा,
ऑफिस ना होगा,
कोई यार ना होगा,
तुम्हारी वो शाम जिस दिन,
सिर्फ मेरी हो जाएगी,
उस शाम मैं आऊंगी…
हां, मैं उस शाम आऊंगी।

ऋतु गोड़ियाल
लेखिका

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