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साहित्य 

नववर्ष पर पढ़िए विमल कुमार की कविता- 'नए साल में तारे भी गहरी सांस लेंगे'

नववर्ष पर पढ़िए विमल कुमार की कविता- 'नए साल में तारे भी गहरी सांस लेंगे' नए साल मेंक्या आसमान साफ रहेगापहले की तरह धुंध और कोहरे से मुक्त हो जाएगावह चांद भी मद्धम रहेगाया फिर वह चमक जाएगा? हवाएं पहले की तरह बहेंगीकिसी को बाहों में घेर लेंगी?तितलियां भी...
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शोषित वर्ग की कहानी बताती है सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता- वह तोड़ती पत्थर

शोषित वर्ग की कहानी बताती है सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता- वह तोड़ती पत्थर वह तोड़ती पत्थर;देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ परवह तोड़ती पत्थर। कोई न छायादारपेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकारश्याम तन, भर बंधा यौवन,नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,गुरु हथौड़ा हाथ,करती बार-बार प्रहार:-सामने तरु-मालिका...
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साहित्य 

… मैं उस शाम आऊंगी – ऋतु गोड़ियाल

… मैं उस शाम आऊंगी – ऋतु गोड़ियाल सुनो…. मैं उस शाम आऊंगी, जिस शाम तुम गुनगुनाओगे। तुम्हारे हाथों की गर्मी, आंखों की शरारतें, और होंठो की मुस्कान, ये सब पुकारेंगी तो.. मैं उस शाम आऊंगी। मैं फूल चुनूंगी सदाबहार के, मैं आंखों में काजल, माथे पर बिंदिया, जब सजाऊंगी, मैं उस शाम आऊंगी । प्रियतम मेरे…. जिस शाम तुम्हें जाना ना होगा, …
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साहित्य 

जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल, कलम, आज उनकी जय बोल: दिनकर

जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल, कलम, आज उनकी जय बोल: दिनकर रामधारी सिंह दिनकर साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी। उनकी कविताएं सिर्फ़ उनके समय का सूरज नहीं हैं बल्कि उसकी रौशनी से पीढ़ियां प्रकाशमान होती हैं। कलम, आज उनकी जय बोल जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन …
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मां…तुम बहुत याद आती हो : ऋतु गोड़ियाल

मां…तुम बहुत याद आती हो : ऋतु गोड़ियाल मां…तुम बहुत याद आती हो, सुबह उठते ही भीगे तकिये में, मेरी सूजी हुई लाल आंखों में, मां तुम बहुत याद आती हो। तुम्हारी कही बातें एकाएक सच होने लगी हैं, वो नसीहतें जो बोर हुआ करती थीं, अब मेरे जीवन का हिस्सा हो चली हैं, धीरे बोलो कम बोलो ये सब, काम आने लगा …
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जब भारत आज़ाद हुआ था

जब भारत आज़ाद हुआ था जब भारत आज़ाद हुआ था आजादी का राज हुआ था वीरों ने क़ुरबानी दी थी| तब भारत आज़ाद हुआ था भगत सिंह ने फांसी ली थी इंदिरा का जनाज़ा उठा था इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी तब खून की आँधी बहती थी वतन का ज़ज्बा ऐसा था जो सबसे लड़ता जा रहा था लड़ते …
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कैसे मेरी उम्र 22 वर्ष तक आई?

कैसे मेरी उम्र 22 वर्ष तक आई? कैसे मेरी उम्र 22 वर्ष तक आई? जन्म मां ने दिया तो गोद पापा ने लिया खुशी मां को हुई तो जश्न पापा ने मनाया दूध मां ने पिलाया तो रात को पापा ने सुलाया हांथ पकड़ कर मां ने चलाया तो पापा ने भागना सिखाया मां ने कपड़े पहनाए तो पापा ने नहलाया मां …
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साहित्य 

राम की शक्ति-पूजा: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ लिखते हैं कि…

राम की शक्ति-पूजा: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ लिखते हैं कि… अपनी विख्यात लम्बी कविता ‘राम की शक्ति-पूजा’ में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ लिखते हैं- … राघव-लाघव – रावण – वारण – गत – युग्म – प्रहर, उद्धत – लंकापति मर्दित – कपि – दल-बल – विस्तर … यह वर्णन लंकापति रावण से पराजित होकर छावनी में उस रात वापस लौटते राम का है। वह राम जिनके …
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उत्तराखंड  काशीपुर 

काशीपुर: जंगलों की आग से भावुक होकर फायरमैन ने लिखी कविता, हजारों लोगों ने किया लाइक

काशीपुर: जंगलों की आग से भावुक होकर फायरमैन ने लिखी कविता, हजारों लोगों ने किया लाइक अरुण कुमार, काशीपुर। जंगलों में लगी आग को बुझाने में वन कर्मियों, फायर कर्मियों द्वारा हर हथकंडे अपनाने के बाद भी जंगलों में लगने वाली आग पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ऐसे में एक फायर कर्मी अपनी कविता के माध्यम से आग से प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने …
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प्रेम मेरा मधुबन है…

प्रेम मेरा मधुबन है… प्रेम मेरा मधुबन है प्रेम ही सत्य सजन है प्रेम है मीरा प्रेम है राधा प्रेम कृष्ण का मन है। प्रेम भरत संग सिंहनी का प्रेम मेरी निज जननी का प्रेम अवध है प्रेम है काशी प्रेम नगर कह सजनी का। प्रेम है गंगा प्रेम है जमुना प्रेम सिया संग राम का प्रेम की भाषा …
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