बरेली: डीजे वाली अंजुमनों को जुलूस-ए-मोहम्मदी में नही किया जाएगा शामिल- सज्जादानशीन

बरेली, अमृत विचार। पैगंबर-ए-इस्लाम की यौमे विलादत हर साल 12 रबी-उल-अव्वल को शान्ति दिवस के रुप में दुनियाभर के अंदर मनाया जाता है। नबी-ए-करीम की आमद की खुशी में बरेली में दो जुलूस निकाले जाते हैं। इस साल जुलूस-ए- मोहम्मदी बरेली में 8 या 9 अक्टूबर को कोहाड़ापीर से दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान …

बरेली, अमृत विचार। पैगंबर-ए-इस्लाम की यौमे विलादत हर साल 12 रबी-उल-अव्वल को शान्ति दिवस के रुप में दुनियाभर के अंदर मनाया जाता है। नबी-ए-करीम की आमद की खुशी में बरेली में दो जुलूस निकाले जाते हैं। इस साल जुलूस-ए- मोहम्मदी बरेली में 8 या 9 अक्टूबर को कोहाड़ापीर से दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की क़यादत में निकाला जाएगा। दरगाह प्रमुख और कायदे जुलूस हज़रत सुब्हानी मियां की ओर से तैयार करायी जा रही खास नातों की चिप चलाने की इजाज़त होगी। गैर शरई नगमें कव्वाली आदि बजाने की इजाज़त नही होगी। शर्तों पर खरा न उतरने वाली अंजुमनों को जुलूस में शामिल नही किया जाएगा। ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर पुराना शहर से जुलूस निकाला जाता है। दोनों ही अंजुमनों में लगभग 150-150 अंजुमने शिरकत करती हैं।

दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने अंजुमन खुद्दामे रसूल के सेकेट्री शान रज़ा और पुराने शहर की अंजुमन इत्तेहादुल मुस्लेमीन के सदर इमशाद हुसैन व सचिव अंजुम शमीम से कहा कि लोग शहर भर की सभी अंजुमनों तक इत्तेला पहुंचा दें कि जुलूस में हरगिज़ हरगिज़ डीजे न लेकर आये और न ही गैर शरई नात-ओ-मनकबत जिसमें संगीत हो न बजाएं। कोई भी अंजुमन इसका उल्लघंन करे उसको फौरन जुलूस से निकाल दिया जाए।

मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने कहा कि जैसी खबर मिल रही है कि शहर की अंजुमने पचास हज़ार, एक लाख, डेढ़ लाख के डीजे चंदा करके बुक कर रही है। उन सभी लोगो से मेरी अपील है कि वो लोग इस रकम से किसी गरीब बेटी की शादी करा दें। किसी बीमार जिसका ऑपरेशन होना है और वो आर्थिक तंगी की वजह से ऑपेरशन नही करा पा रहा है। ये रकम उस पर खर्च कर दे। या कोई और जिसे पैसों की सख्त जरूरत है उसकी मदद कर दे। फलदार व छायादार पेड़-पौधे लगाकर हरियाली का पैगाम दे।

डीजे को लेकर इस साल उर्स-ए-रज़वी के स्टेज से भी देश भर के उलेमा ने विरोध किया था जिसमें मुख्य रूप से मुफ्ती सलीम नूरी, मुफ्ती सगीर अहमद जोखनपुरी, मुफ़्ती आकिल रज़वी, कारी सखावत नूरी, मुफ्ती अय्यूब आदि। मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि नबी-ए-करीम की यौमे विलादत का जश्न शरई अंदाज़ बेहद सादगी के साथ अमन-शांति का पैगाम देते हुए मनाएं। घर-घर मुसलमान परचम रिसालत फहराए। जुलूस निकालते वक़्त राहगीरों और बीमारों का ख्याल रखें।

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