बाराबंकी: देवा शरीफ में होली पर बरसते सौहार्द के रंग, सभी धर्म के लोग मिलकर खेलते हैं होली

देवा बाराबंकी। ‘जो रब है, वही राम’ का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की देवा स्थित दरगाह शरीफ के परिसर में हर साल हिंदू और मुस्लिम भाइयों के द्वारा खेली जाने वाली होली उनके इस पैगाम की तस्दीक करती है और यह मजार शरीफ पर हर मजहब के लोग आपस में …
देवा बाराबंकी। ‘जो रब है, वही राम’ का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की देवा स्थित दरगाह शरीफ के परिसर में हर साल हिंदू और मुस्लिम भाइयों के द्वारा खेली जाने वाली होली उनके इस पैगाम की तस्दीक करती है और यह मजार शरीफ पर हर मजहब के लोग आपस में भाईचारा बनाकर फूल और गुलाल की होली खेलते हैं। इस बार भी ऐसी ही होली की तैयारी है।
बड़े अदब से हाजी बाबा कहे जाने वाले सूफी संत वारिस अली शाह की दरगाह के गेट के पास हर साल हिंदू और मुसलमान मिलकर होली के उल्लास में डूब जाते हैं । एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले लगाते हैं। यह परंपरा देवा की होली को बाकी स्थानों से अलग करती है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के देवा कस्बे में स्थित हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर रोजाना हजारों की तादाद में जायरीन आकर दुआ मांगते हैं। इनमें बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम श्रद्धालु भी शामिल होते हैं। यह दरगाह पूरे देश , विदेश में सांप्रदायिक भाईचारे और सद्भाव के प्रतीक के तौर पर जानी जाती है।
हाजी बाबा का यह आस्ताना देश की शायद ऐसी पहली दरगाह
भाईचारे की अटूट परंपरा को पिछले करीब 4 दशक से संभाल रहे शहजादे आलम वारसी ने बताया कि हाजी बाबा का यह आस्ताना देश की शायद ऐसी पहली दरगाह है, जहां होली के दिन हिंदू और मुसलमान एक साथ गुलाल उड़ाकर होली का जश्न मनाते हैं। इस दौरान हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब की शानदार झलक नजर आती है।
वारसी ने बताया कि दरगाह के बाहर बने कौमी एकता गेट पर होली के दिन चाचर का जुलूस निकाला जाता है जिसमें दोनों समुदायों के लोग हिस्सा लेते हैं। इस तरह वे हाजी बाबा के ‘जो रब है वही राम’ के संदेश को उसके मूल रूप में परिभाषित करते हैं।
स्थानीय निवासी 70 वर्षीय पंडित रामा महाराज शुक्ला ने बताया कि हाजी बाबा की दरगाह पर होली खेलने का रिवाज बहुत पुराना है जब स्वयं हाजी वारिस थे तभी उन्हीं के समय से आपसी भाईचारे का प्रतीक त्यौहार मनाया जाने वाला होली सभी मजहब के लोग आपस में मिलजुल कर मनाते हैं और यहां पर गुलाल और रंगों की होली होती है जिसको हम बचपन से देख रहे हैं। यहां आकर इसे देखकर यह महसूस होता है कि हमारी गंगा जमुनी तहजीब कितनी मजबूत है और मुल्क तथा क़ौम की तरक्की के लिए ऐसी परंपराओं को हमेशा बनाए रखना होगा।
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